Nepal GenZ Protest: नेपाल की राजनीतिक परिदृश्य में हालिया उथल-पुथल के बीच सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चर्चा में है। देश में Gen-Z आंदोलन के प्रभाव ने राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। इस आंदोलन के दौरान फैली हिंसा और अस्थिरता के बीच, केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वर्तमान में Gen-Z नेताओं की टीम नए नेतृत्व के चुनाव की प्रक्रिया में जुटी है।

सुशीला कार्की ने Gen-Z नेताओं के साथ की वर्चुअल मीटिंग

Gen-Z के नेताओं ने सुशीला कार्की के साथ लगभग पांच घंटे लंबी वर्चुअल बैठक की, जिसमें देश की राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक चुनौतियां और आर्थिक सुधारों की दिशा पर गहन चर्चा हुई। इस बैठक के पश्चात हुई वोटिंग में सुशीला कार्की को 58 फीसदी मत प्राप्त हुए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बालेन शाह को 32 फीसदी वोट मिले।

सुशीला कार्की Gen-Z की पहली पसंद

GenZ NEPAL के ट्विटर पोल के अनुसार, जनता ने सुशीला कार्की को सबसे उपयुक्त नेता माना। 58.9% मतदाताओं ने उन्हें देश का अगला प्रधानमंत्री चुनने की वकालत की, जबकि बालेन शाह को 32.1% वोट प्राप्त हुए। अन्य उम्मीदवार सागर ढकाल और हरका संपांग क्रमशः 7.1% और 1.8% वोट ही प्राप्त कर सके। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि सुशीला कार्की का लोकप्रिय समर्थन व्यापक और मजबूत है।

जानिए कौन है सुशीला कार्की

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ। वे सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से साल 1975 में राजनीति शास्त्र से एमए की डिग्री हासिल की थी। वहीं कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1979 में वकालत शुरू की। 1985 में कार्की महेंद्र मल्टिपल कैंपस, धरान में सहायक अध्यापक बनीं। 2007 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा प्राप्त हुआ।

उनकी न्यायिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण मोड़ 22 जनवरी 2009 को सुप्रीम कोर्ट में एड-हॉक जज के रूप में नियुक्ति थी। 2010 में उन्हें स्थायी जज बनाया गया। 2016 में वे नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं, और 11 जुलाई 2016 से 7 जून 2017 तक सुप्रीम कोर्ट की अध्यक्षता की।

सुशीला के कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले आए। 2017 में माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया। देशभर में इस प्रस्ताव का व्यापक विरोध हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने संसद को रोकने का आदेश दिया और अंततः प्रस्ताव वापस लिया गया। इस घटना ने कार्की की न्यायप्रियता और दबावों के सामने डटी रहने की क्षमता को उजागर किया।

सुशीला कार्की का परिवार और व्यक्तिगत जीवन

सुशीला कार्की की शादी दुर्गा प्रसाद सुवेदी से हुई, जिनसे वे बनारस में पढ़ाई के दौरान मिली थीं। सुवेदी उस समय नेपाली कांग्रेस के युवा नेता थे और पंचायती शासन के खिलाफ आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाते थे। उनका नाम विमान अपहरण कांड जैसी घटनाओं में भी सामने आया।

न्यायपालिका से सेवानिवृत्ति के बाद, सुशीला कार्की लेखन में सक्रिय हुईं। 2018 में उनकी आत्मकथा ‘न्याय’ प्रकाशित हुई और 2019 में उनका उपन्यास ‘कारा’ आया, जो बिराटनगर जेल में उनके अनुभवों पर आधारित है।

गौरतलब है कि सुशीला कार्की न केवल नेपाल की न्यायपालिका में एक प्रभावशाली और प्रेरक व्यक्तित्व रही हैं, बल्कि उनका नेतृत्व अनुभव, कानूनी दक्षता और सार्वजनिक समर्थन उन्हें देश की अगली प्रधानमंत्री के रूप में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। उनके चयन की प्रक्रिया नेपाल के राजनीतिक परिदृश्य में Gen-Z नेताओं की बढ़ती सक्रियता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की दिशा को भी दर्शाती है।

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