दिल्ली. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वार्ता प्रक्रिया को बाधित करने के पाकिस्तान के आरोप को पूरी तरह से झूठ बताते हुए विश्व के नेताओं से सवाल किया कि ‘‘हत्यारों को महिमामंडित” करने वाले देश के साथ “आतंकी रक्तपात” के बीच कैसे वार्ता की जा सकती है. पाकिस्तान को दिए तीखे जवाब में सुषमा ने कहा कि इस्लामाबाद से बातचीत के लिए भारत ने कई प्रयास किए हैं और इसे रोके जाने का एकमात्र कारण पाकिस्तान का व्यवहार है.
सुषमा स्वराज ने कहा कि हम पर वार्ता प्रक्रिया को रोकने का आरोप हैं. यह पूरी तरह से झूठ है. हमारा मानना है कि बातचीत सबसे जटिल विवादों को हल करने का एकमात्र तर्कसंगत माध्यम है. पाकिस्तान के साथ बातचीत कई बार शुरू हुई. अगर वे रुक गयीं तो इसका एकमात्र कारण सिर्फ पाकिस्तान का आचरण था.
सुषमा स्वराज यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73 वें सत्र को संबोधित कर रही थीं. विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा और महासभा से इतर देशों के विदेशमंत्रियों के बीच बैठक का सुझाव दिया. भारत ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया लेकिन उसकी स्वीकृति के कुछ घंटों के भीतर ही खबरें आई कि आतंकवादियों ने तीन भारतीय जवानों की हत्या कर दी है. सुषमा ने सवाल किया, “क्या यह वार्ता की इच्छा का संकेत देता है.” उन्होंने कहा कि भारत की विभिन्न सरकारों ने वर्षों से शांति की कोशिश की है.
प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षेस देशों के प्रमुखों को अपने शपथग्रहण समारोह में आमंत्रित कर अपने पहले दिन से ही संवाद के लिए प्रयास शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा कि वह खुद भी दिसंबर 2016 में इस्लामाबाद गयीं और व्यापक द्विपक्षीय वार्ता की पेशकश की. सुषमा स्वराज ने कहा कि लेकिन जल्द ही, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने दो जनवरी को पठानकोट में हमारे वायु सेना अड्डे पर हमला किया. कृपया मुझे बताएं कि आतंकवादी रक्तपात के बीच हम कैसे वार्ता कर सकते हैं. पाकिस्तान द्वारा भारत पर बार-बार मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाए जाने पर सुषमा ने कहा कि आतंकवादियों से ज्यादा मानव अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कौन हो सकता है.