वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाले में फंसे निलंबित पटवारी सुरेश मिश्रा ने बीते दिनों आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या से पहले उन्होंने सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें कोटवार, सचिव से लेकर राजस्व अफसरों तक का नाम शामिल है। अब इस पूरे मामले में पटवारी संघ ने बिलासपुर एसपी से निष्पक्ष जांच और असली दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं एसपी ने सभी पहलुओं की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है।

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बता दें कि 27 जून (शुक्रवार) दोपहर सकरी थाना क्षेत्र के जोकी गांव में पटवारी सुरेश मिश्रा ने अपनी बहन सरस्वती दुबे के फार्महाउस में पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो कमरा भीतर से बंद था और शव पंखे से लटका हुआ मिला। पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया, जिसमें लिखा था. “मैं दोषी नहीं हूं। मुझे एक साजिश के तहत फंसाया गया है।”

सस्पेंड होने के तीसरे दिन लगा ली फांसी

सुरेश मिश्रा तखतपुर तहसील के भाड़म पंचायत में पटवारी थे और हाल ही में बिलासपुर-उरगा भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में फर्जी दस्तावेजों के आरोप में उन्हें 25 जून को निलंबित किया गया था। उसी दिन तोरवा थाने में FIR दर्ज हुई थी, जिसमें उनके साथ तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके का भी नाम था। जांच में सामने आया कि ढेका गांव की अधिग्रहीत भूमि के मुआवजा प्रकरण में फर्जी दस्तावेज तैयार कर कुछ व्यक्तियों के नाम अवैध रूप से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किए गए, जिससे सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

क्या है घोटाला

घटना बिल्हा तहसील के ढेका गांव से जुड़ी है, जहां भारतमाला परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच में पता चला कि गांव की 150 जमीनों के टुकड़ों में फर्जी बंटवारा कर 76 नकली किसानों के नाम दर्ज किए गए, जिससे मुआवजा की राशि 15 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई। हैरानी की बात यह है कि सभी बंटवारे एक ही दिन ऑनलाइन दर्ज किए गए थे। इस मामले में एफआईआर तो दर्ज हो गई, लेकिन जांच अब तक शुरू नहीं हुई।