हरीशचंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर के समीप खरगोन ज़िले के बड़वाह थाना क्षेत्र में उस समय सनसनी फैल गई, जब नर्मदा किनारे बहने वाले एक नाले में पेड़ पर एक युवक का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला। बदबू आने पर ग्रामीण जब नाले की ओर गए, तो शव देखकर घबरा गए और तत्काल बड़वाह पुलिस को सूचना दी। पुलिस और मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने पुष्टि की कि मृतक सीआईएसएफ रिज़र्व बटालियन बड़वाह में पदस्थ 32 वर्षीय आरक्षक (चालक) जितेन्द्र यादव है, जो पिछले 10 नवंबर से लापता था।

बताया जा रहा है कि गायब होने के बाद से ही उसकी तलाश की जा रही थी। सीआईएसएफ अधिकारियों और जवानों ने जितेन्द्र यादव की गुमशुदगी की रिपोर्ट बड़वाह थाने में दर्ज कराई थी। 10 नवंबर की दोपहर वे बैरक से यह कहकर निकले थे कि मार्केट जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद वापस नहीं लौटे। सीआईएसएफ और पुलिस ने उनकी तलाश के लिए मुख्य मार्गों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले आसपास के बाज़ार और क्षेत्रों में पूछताछ की और वे एमजी रोड पर जाते हुए दिखाई भी दिए, लेकिन इसके बाद उनका कोई सुराग नहीं मिला।

शव मिलने पर पहुंचे वरिष्ठ अधिकारी

शव मिलने की जानकारी मिलते ही खरगोन एसपी रविन्द्र वर्मा, सीआईएसएफ अधिकारी और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची।
फोरेंसिक एक्सपर्ट्स ने स्थल का सूक्ष्म निरीक्षण किया और सभी आवश्यक साक्ष्य जुटाए। शव को पोस्टमार्टम के लिए बड़वाह सिविल अस्पताल ले जाया गया।

पारिवारिक विवाद या मानसिक दबाव? जांच में होगा खुलासा

मृतक मूल रूप से अलवर, राजस्थान का निवासी था। परिजनों को सूचना दे दी गई है और वे घटनास्थल के लिए रवाना हो चुके हैं। पुलिस प्राथमिक रूप से इसे सुसाइड मान रही है, लेकिन क्या कोई पारिवारिक विवाद था, क्या नौकरी का तनाव था, या कोई और वजह, इन सब  सवालों का जवाब पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विस्तृत जांच के बाद ही सामने आएगा।

सीआईएसएफ का बड़ा केंद्र होने से मामला और गंभीर

उल्लेखनीय है कि बड़वाह के पास देश का सबसे बड़ा सीआईएसएफ प्रशिक्षण केंद्र स्थित है। जहां पूरे देश से जवान प्रशिक्षण लेने आते हैं। ऐसे में किसी आरक्षक का इस तरह गायब होना और फिर फांसी पर लटका मिलना सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े गंभीर सवाल खड़े करता है।

पुलिस ने दर्ज किया मर्ग

थाना प्रभारी बलराम सिंह राठौर ने बताया-मर्ग कायम कर लिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि उसने ऐसा कदम क्यों उठाया या इसके पीछे कोई दूसरी वजह थी।” यह घटना न सिर्फ एक जवान की नियति पर सवाल खड़े करती है बल्कि सुरक्षा व्यवस्था, मनोवैज्ञानिक दबाव और फोर्स की आंतरिक चुनौतियों को भी उजागर करती है। जांच पूरी होने के बाद ही यह सामने आएगा कि यह सामान्य आत्महत्या का मामला है, या इसके पीछे कोई गहरी वजह छिपी है। 

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