Suzlon Energy Share: शेयर बाजार में इंडेक्स के उतार-चढ़ाव के बीच Suzlon Energy Ltd भी सुर्खियों में है. एक समय निवेशकों की पसंदीदा मानी जाने वाली यह विंड एनर्जी कंपनी अब अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर से 32% नीचे ट्रेड कर रही है. शुक्रवार को यह स्टॉक ₹58.68 पर बंद हुआ और कंपनी का मार्केट कैप फिलहाल करीब ₹79,930 करोड़ है.
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Suzlon Energy Share
हालिया गिरावट ने चौंकाया (Suzlon Energy Share)
पिछले एक महीने में शेयर लगभग 12% टूटा. जुलाई में 9.3% और जून में 5.3% की गिरावट दर्ज हुई थी. अगस्त में अब तक शेयर और 12% गिर चुका है. यानि तीन महीने से भी कम समय में यह स्टॉक 18% से ज़्यादा फिसल चुका है.
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क्यों टूटा भरोसा? (Suzlon Energy Share)
बिकवाली तब और तेज़ हुई जब:
- जून तिमाही के नतीजे ब्रोकरेज अनुमान से कमजोर रहे.
- समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) ने इस्तीफा दिया, जिससे निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई.
एनालिस्ट्स का मानना है कि CFO की भूमिका बैलेंस शीट सुधार में अहम थी, इसलिए उनका जाना अल्पकालिक दबाव बना सकता है. इसके साथ ही, हाल की तिमाहियों में इंस्टॉलेशन की धीमी गति और FY26 तक नए ऑर्डर फ्लो में सुस्ती भी चिंता का विषय है.
ब्रोकरेज हाउस की राय (Suzlon Energy Share)
JM Financial: इंस्टॉलेशन डिलीवरी सिर्फ 20% रहने से एग्ज़ीक्यूशन की दिक्कतें बनी हुई हैं. टारगेट प्राइस ₹80 से घटाकर ₹78 किया, लेकिन ‘Buy’ रेटिंग बरकरार.
Motilal Oswal: लंबी अवधि को लेकर पॉज़िटिव, लेकिन FY26 के PAT अनुमान में 25% कटौती और कर दर अनुमान में संशोधन किया.
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पॉजिटिव फैक्टर्स भी मौजूद (Suzlon Energy Share)
ब्रोकरेज मानते हैं कि अल्पकालिक चुनौतियों के बावजूद सुजलॉन की ग्रोथ स्टोरी मज़बूत है.
- स्थानीय कंटेंट नियम लागू होने से ऑर्डर और मार्जिन बढ़ने की संभावना.
- टाटा पावर के साथ 700 मेगावाट (₹6,000 करोड़) की डील पर चर्चाएँ.
- कम वर्किंग कैपिटल साइकिल जैसी ऑपरेशनल एफिशिएंसी.
कंपनी की ऑर्डर बुक 5.7 GW पर पहुंच गई है, जो अब तक की सबसे बड़ी है. मैनेजमेंट का कहना है कि FY26 में डिलीवरी, राजस्व और EBITDA में 60% ग्रोथ हासिल की जाएगी.
आगे की तस्वीर (Suzlon Energy Share)
भारत अगले दो सालों में पवन ऊर्जा क्षमता में बड़ा इज़ाफ़ा करने की तैयारी में है:
- FY26: 6 GW ऐड होने का अनुमान
- FY27: 7–8 GW ऐड होने की उम्मीद
सुजलॉन का कहना है कि FY26 की दूसरी तिमाही में ही डिलीवरी तेज़ हो चुकी है और 547 मेगावाट प्री-कमीशनिंग भी हो चुकी है.
यानि सवाल बड़ा है, क्या यह मौजूदा लेवल पर लॉन्ग टर्म खरीद का शानदार मौका है या फिर स्टॉक को और समय चाहिए कंसोलिडेट होने के लिए?
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