सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को NCERT के सिलेबस में रामायण और महाभारत को शामिल करने को लेकर X पर पोस्ट कर विरोध जताया. इसके साथ उन्होंने जातीय भेदभाव और पारिवारिक विघटन पैदा करने का आरोप लगाया.
मौर्य ने कहा, क्या NCERT व सरकार रामायण व महाभारत को पाठयक्रम में शामिल कर तमाम देवियों के चीरहरण को बढ़ावा देना चाहती है? अब फिर से शम्बूक का सिर व एकलव्य का अंगूठा न काटा जाए. इस बात को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है.

स्वामी प्रसाद ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि यद्यपि आज वैसे ही बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा व महिला उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं. दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोगों पर पेशाब करना व मल-मूत्र का लेपन करना, समय से फीस न जमा करने पर बच्चों की पिटाई कर मौत की नींद सुला देना.

उन्होंने कहा कि कहीं महिलाओं के साथ सामूहिक दुराचार की घटना के बाद हत्या कर लाश को टुकड़े-टुकड़े कर देना और कॉलेज व विश्वविद्यालय परिसर में भी यदा-कदा छात्राएं अपमानित होने के फलस्वरूप आत्महत्या करने के लिए मजबूर होने की घटनाएं प्रकाश में आती रहती है.

साथ ही विभाग से उन्होंने पूछा कि क्या एनसीईआरटी व सरकार, रामायण व महाभारत को पाठयक्रम में शामिल कर सीता, शूर्पणखा व द्रौपदी जैसी महान देवियों को क्रमशः अग्नि परीक्षा के बाद भी परित्याग, वैवाहिक प्रस्ताव पर नाक-कान काटने की त्रासदी व द्रौपदी जैसी अन्य तमाम देवियों के चीरहरण को बढ़ावा देना चाहती है?

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साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, वीरांगना ऊदा देवी, चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, अशफाक उल्ला खां, पं. राम प्रसाद विस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, वीर ऊधम सिंह जैसे आदि महानायकों को शामिल किया जा सकता है. अब फिर से शम्बूक का सिर व एकलव्य का अंगूठा न काटा जाए इस बात को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है.