कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। इतिहास के पन्नों में कभी ग्वालियर की जीवनदायनी कहीं जाने वाली स्वर्ण रेखा नदी अब नाले में तब्दील हो गई है। ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिए स्वर्ण रेखा को उसके पुराने वैभव में लाने कवायद चल रही है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई के दौरान नगर निगम ने अपना शपथ पत्र पेश किया। इसपर कोर्ट ने निगम अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई।

कोर्ट ने कहा है कि निगम टेलीफोनिक चर्चा के आधार पर रिपोर्ट तैयार करता है। इससे काम नहीं चलेगा, भोंपाल मंत्रालय में जाए और उसकी प्रॉपर डिटेल हासिल करें। न्यायालय का समय सभी के लिए है, सिर्फ निगम के शपथ पत्र के इंतजार के लिए नहीं है। बतादें कि, मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।

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क्या है मामला
दरअसल, स्वर्ण रेखा नाले के सौंदर्यीकरण और पुनरुद्धार के लिए हाई कोर्ट अधिवक्ता विश्वजीत रतोनिया ने एक जनहित याचिका दायर की है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बैंक में इस मामले को लेकर जारी सुनवाई के दौरान नगर निगम ने अपना शपथ पत्र पेश किया। जिस पर न्यायमूर्तियों ने नगर निगम के शपथ पत्र को देख नाराजगी जाहिर की और फटकार लगाई।

कोर्ट ने कहा कि, 5 घंटे की समय सीमा वाले कोर्ट में कितना वक्त सिर्फ नगर निगम को दिया जाए, नगर निगम और उसके द्वारा पेश किया जा रहे शपथ पत्र न्यायालय का समय खराब कर रहे हैं, टेलिफोनिक चर्चा के आधार पर ही स्वर्ण रेखा नदी प्रोजेक्ट को लेकर रिपोर्ट पेश कर दी जाती है। जो की गलत तरीका है ऐसे में कोर्ट ने नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि आप भोपाल मंत्रालय में जाइए प्रोजेक्ट से जुड़ी डिटेल रिपोर्ट हासिल करिए उसे समझिए और उसके बाद फिर स्टेटस रिपोर्ट को हाई कोर्ट में सबमिट कीजिए।

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हाइकोर्ट ने लगाई फटकार
हाइकोर्ट ने यह भी कहा कि आप सभी अधिकारी निगम के कर्मचारी हो मालिक नहीं हो। गौरतलब है कि बीती सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नगर निगम से स्वर्णरेखा सौंदर्यकरण और पुनरुद्धार से जुड़ी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी थी, पूर्व में भी हाई कोर्ट डिटेल रिपोर्ट मांग चुका है। लेकिन हर बार की तरह नगर निगम डिटेल रिपोर्ट की जगह खाना पूर्ति भरा शपथ पत्र पेश करती रही। यही वजह है कि कोर्ट ने नगर निगम के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा है कि आगामी 27 फरवरी को होने वाली सुनवाई के दौरान प्रॉपर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट चाहिए ऐसा न होने पर न्यायालय सख्त एक्शन लेने मजबूर होगी।

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