रायपुर. कल से राहुल गांधी की गिरफ्तारी के कयास लगाए जा रहे हैं. उनके आवास, कांग्रेस कार्यालय और दस जनपथ का एरियल व्यू लिया जाए तो सिर्फ खाकी ही दिखेगी. इधर गिरफ़्तारी का माहौल उधर राहुल अपनी कर्नाटक यात्रा के बीच ही दिल्ली वापस आ गए और जिस मुद्रा में ललकारा वो जी हुज़ूर मीडिया के तमाम सेंसर के चीथड़े उड़ाता हुआ इस मुद्रा में वायरल है ‘ कह देना छेनू आ गया ‘. मैंने पहले विस्तार से लिखा था पुनः याद दिला रहा हूं ,13 अप्रैल 1932 को जलियावाले बाग के शहीदों की यादगार के दिन इलाहाबाद के लोगों ने एक विशाल जुलूस निकाला.

अंग्रेजी पुलिस ने इस जुलूस का रास्ता रोका और आगे बढ़ने नहीं दिया. नेहरू जी की मां स्वरुप रानी इस जुलूस का नेतृत्व कर रही थीं. रोके जाने पर आगे आयीं और शांति से अंग्रेजी पुलिस के सामने आकर कुर्सी डालकर बैठ गई. कुछ देर बाद जुलूस को आगे न बढ़ने देने की जिद और स्वरुप रानी और लोगों को डराने के लिए लाठियां चलाने लगीं. स्वरुप रानी अपनी जगह से बिल्कुल नहीं हिलीं, लाठियां चलीं और बुरी तरह घायल हुईं.

उधर नेहरूजी जेल में पहले ही बंद थे .इस घटना की खबर से अपनी मां को याद कर बुरी तरह विचलित हुए. नेहरू जी की मां स्वरुप रानी ने मां ने अपने बेटे जवाहर को जेल में खत भेजा था, जो मां पर हुए इस भयानक हमले की खबर से टूटे हुए थे, स्वरुप रानी ने लिखा था- मुझे गर्व है मैंने ये मार अपनी मातृभूमि के लिए खाई है. जब ये हो रहा था, मैं तुम्हारे और तुम्हारे पिताजी के बारे में सोच रही थी और इसलिए मुंह से आह तक न निकली. बहादुर बेटे की मां को
कुछ तो अपने बेटे जैसा होना चाहिए.

9 बार जेल गए और 3259 दिन जेल में गुजारे हुए नेहरूजी को एक बार 9 अगस्त 1942 को जब पुलिस गिरफ़्तार करने पहुंची तो जल्दी चलने के लिए चिल्लाने लगी नेहरूजी ने उनसे दो टूक कहा नाश्ता करे बिना जाएंगे नहीं. अपना प्रिय नाश्ता कॉर्न फ्लैक्स लिया. बहन कृष्णा को धन्यवाद दिया और मुस्कुराते हुए पुलिस की गाड़ी में बैठ गए .

रूसी लेखक गोरेव और जिम्यानिन ने लिखा है नेहरू दमन से डरते नहीं थे. उन्हें हर हफ़्ते पुलिस के अफसरों से सरकार विरोधी कार्रवाइयों और बलवाई स्पीचों के लिए मुकदमा चलाये जाने की धमकियां मिलती रहती थीं. वह दमन की अपरिहार्यता के आदि बन गए थे. देश के प्रसिद्ध क्रांतिकारी मन्मथनाथगुप्त जो बरसों जेल में रहे ,कम उम्र होने की वजह से फांसी से बाल- बाल बचे, उन्होंने अपनी पुस्तक में इंदिरा गांधी को किस तरह याद किया.

इंदिराजी चट्टान की तरह अविचलित प्रतिदिन भारत के किसी न किसी कोने में कभी दमकल की तरह आग बुझाती. इंदिराजी मृत्युंजया थीं. हत्या के एक दिन पहले 30 अक्टूबर को उन्होंने उड़ीसा की एक सभा में कहा था – यदि देश की सेवा में मेरी मृत्यु हो जाए तो मुझे इस पर गर्व होगा. मेरे रक्त के प्रत्येक बिंदु से राष्ट्र के विकास में सहायता मिलेगी.

मन्मथनाथगुप्त आगे लिखते हैं एक विदेशी से इंदिराजी ने कहा था मुझे भय नहीं लगता. मुझ पर कई हमले हो चुके हैं. एक बार मुझ पर बन्दूक तानी गई. एक अन्य मौके पर भी एक व्यक्ति ने मुझ पर छुरा फेका. इससे पहले लखनऊ में इंदिरा कह चुकी थीं – यदि एक इंदिरा मारी जाए, तो उसके रक्त से सैकड़ों इंदिरा अंकुरित होंगी और हजारों इंदिरायें देश की सेवा के लिए पैदा होंगी.

राजीव पर श्रीलंका तक में हमला हुआ और देश के लिए इंदिरा-राजीव शहीद हुए. सोनिया गांधी ने 3 बार पीएम पद स्वीकार नहीं किया. तो राहुल गांधी जब पूरी निडरता से पलट कर डराने की धमकियों के चीथड़े उड़ाते हैं. इस इतिहास से भी समझ जाइये स्वरूप रानी, जवाहर, इंदिरा और राजीव के बेटे को डराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.