आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल(Swati Maliwal) को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने उन्हें एक नाबालिग यौन उत्पीड़न पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने के आरोप से बरी कर दिया. मालीवाल के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और धारा 228ए के तहत मामला दर्ज किया गया था, जो यौन अपराधों के पीड़ितों की पहचान को उजागर करने पर रोक लगाता है.

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दिल्ली पुलिस ने उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई अपनी FIR में बताया कि मालीवाल ने एक यौन उत्पीड़न मामले की जांच की प्रगति जानने के लिए क्षेत्र के DCP को संबोधित एक नोटिस जारी किया था. इस नोटिस में नाबालिग का नाम भी शामिल था, जिसे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रसारित किया गया.

उजागर हुई थी पहचान: रेप के आरोपी को जमानत मिलने के बाद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि पीड़िता ने डर के मारे अपना बयान बदल दिया. हालांकि, इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. स्वाति मालीवाल का यह बयान दिल्ली महिला आयोग के तत्कालीन पब्लिक रिलेशंस अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने व्हॉट्सऐप ग्रुप के माध्यम से सभी समाचार चैनलों में साझा कर दिया, जिससे पीड़िता की पहचान उजागर हो गई. इस मामले के आधार पर दिल्ली पुलिस ने स्वाति मालीवाल और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की.

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यह मामला 2016 में दर्ज एक FIR से शुरू हुआ, जिसमें मालीवाल पर यौन उत्पीड़न पीड़ितों की पहचान को गोपनीय रखने वाले नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. शिकायत के अनुसार, 22 जुलाई 2016 को दिल्ली महिला आयोग ने बुराड़ी के SHO को एक नोटिस जारी किया, जिसमें एक 14 वर्षीय दलित लड़की का नाम शामिल था, जो यौन उत्पीड़न के बाद मृत पाई गई थी. अदालत ने सभी सबूतों की गहन जांच के बाद मालीवाल या अन्य आरोपियों को दोषी ठहराने का कोई आधार नहीं पाया और इस लगभग 10 साल पुराने मामले को समाप्त कर दिया.