जांजगीर-चाम्पा (पामगढ़). हिर्री ग्राम पंचायत ब्लॉक पामगढ़ में महिला किसान बिरस खन्ना ने अपनी कठिन परिश्रम व लगन से वह कर दिखाया जो लोगों के लिए सपने के जैसा था. बिरस ने यह साबित कर दिया दृढ़ इच्छा शक्ति से पत्थरों में अगर फूल खिला सकते हैं, तो एक किसान कहीं भी कुछ भी उगा सकता है. अब बात कर लें जरा ठण्डे प्रदेश के मीठे सेब की. डॉक्टरों का कहना है कि रोज सेब खाकर बिमारियों से दूर रहा जा सकता है. कृषि विशेषज्ञो का मानना है कि सेब केवल ठण्ड प्रदेश में उगाया जा सकता है. परन्तु सारी आशंकाओं- संभावनाओं के बीच आज हिर्री ग्राम में एक सेब के पेड़ में करीब दर्जनभर सेब के फल लग चुके हैं.

जबकि सबसे हैरानी वाली बात यह है कि जिस क्षेत्र में सेब का पेड़ लगा है वह गांव जांजगीर चाम्पा जिला में है जो छत्तीसगढ़ के सबसे गर्म जिला व क्षेत्र है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सेब का सही उत्पादन अधिकतम 16 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले क्षेत्रों में ही लिया जाता रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ के गर्म जिले में यह हो पाना निश्चित ही बड़ी सफलता है. इसके पीछे की कहानी एक सफल प्रयोग को बयां करती है.

जब राष्ट्रीय नवाचारी संस्था अहमदाबाद ( भारत सरकार का उपक्रम) के सौजन्य से निःशुल्क सेब का पौधा बांटा गया था और यह लक्ष्य रखा गया था की इसे 49 डिग्री सेल्सियस वाले गर्म क्षेत्रो में भी प्रयोग के तौर पर लगाया जाए. ग्रामीण कृषक बिरस के द्वारा चुनौती को स्वीकार किया गया उनके द्वारा इस प्रयोग को सफल कर दिया गया है. इसके लिए तीन वर्ष का समय निर्धारित किया गया था. प्रथम वर्ष(2015) में पौधा लगभग 5 फिट ऊँचा हुआ. दूसरे वर्ष में फूल आया और तीसरे वर्ष(2018) में फूलों के साथ तक़रीबन एक दर्जन से भी ज्यादा फल आये हैं.

पेड़ की ऊंचाई अभी लगभग 11-12 फिट है और पूरी तरह से हरा- भरा स्वस्थ है. महिला कृषक बिरस महिला स्व सहायता समूह से भी जुडी हुई हैं. जिसमें उनके द्वारा ग्राम के अन्य महिलाओं को घर की बाड़ी में घरेलु उपयोग हेतु साग- सब्जी फल-फूल को जैविक तरीके से उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. साथ ही वह पिछले 4 वर्षो से एम. बी. खन्ना फाउंडेशन( NGO) का सफल क्रियान्वयन कर रही हैं. जिसका मुख्य उद्देश्य जैविक कृषि को प्रोत्साहन करना उसे बढ़ावा देना है.

वर्तमान में उनके घर की बाड़ी में सेब, जामुन, अमरुद,चीकू, कटहल, हल्दी, अदरक,प्याज,एलोवेरा,बेल, सीताफल, मुसब्बि, अनार,पपीता, नीबूं,आम इत्यादि गुड़कारी फल-फूल सब्जी लगे हैं, जिसमे पूरी तरह से जैविक खाद एवं कीट नियंत्रक का प्रयोग किया गया है. इन तमाम चीजो का निर्माण कृषक द्वारा स्वयं ही अपने घर में तैयार किया जाता है. इस तरह का प्रयोग प्रदेश व देश के लिए एक मिशाल है तथा अन्य क्षेत्रो में प्रयोग क्र किसानी में उत्पादकता व आमदनी को बढ़ाकर महिला स्वयं सबला की कहानी गढ़ सकती है.