Chhattisgarh News: प्रतीक चौहान. रायपुर. छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच स्वाइन फ्लू के मामले भी सामने आ रहे हैं. इन्हीं खतरों के बीच राजधानी रायपुर में इलाज करा रही स्वाइन फ्लू की मासूम मरीज की मौत हो गई.
मरीज महज 4 वर्ष की थी और कवर्धा से ये परिवार इलाज कराने समता कॉलोनी के एक निजी अस्पताल में पहुंचा था. जहां निमोनिया के बाद जांच में मरीज को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई.
धीरे-धीरे पैर पसार रहा स्वाइन फ्लू
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की बात करें तो 15 जुलाई से अब तक स्वाइन फ्लू के 28 मरीज सामने आए है. जिसमें से एक मरीज की मौत हुई और 11 एक्टिव मरीज अभी भी इलाज करवा रहे है.
स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया था अलर्ट
स्वाइन फ्लू के मामले आम तौर पर सर्दियों में आते हैं. लेकिन इसका वायरस मानसून में भी सक्रिय हो गया है. बरसात में लगातार होने वाले मौसमी बदलाव के कारण कई तरह की संक्रमणजनित बीमारियां होती हैं. इससे बचने और सावधान रहने की जरूरत है. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को मौसमी बीमारियों के साथ ही मंकी-पॉक्स, कोविड-19 और स्वाइन फ्लू से अलर्ट रहने की अपील की है.
ये है स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण भी कोरोना के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं. इसमें खांसी, बलगम आना, गले में दर्द या खराश, जुकाम और कुछ लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर सांस चढ़ने लग जाती है. जिन व्यक्तियों को इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं, उन्हें तुरंत स्वाइन फ्लू के साथ कोरोना की भी जांच कराना चाहिए.
स्वाइन फ्लू के लक्षण भी कोरोना के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं. इसमें खांसी, बलगम आना, गले में दर्द या खराश, जुकाम और कुछ लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर सांस चढ़ने लग जाती है. जिन व्यक्तियों को इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं, उन्हें तुरंत स्वाइन फ्लू के साथ कोरोना की भी जांच कराना चाहिए.
इन लोगों को है ज्यादा खतरा
संचालक महामारी नियंत्रण, डॉ. सुभाष मिश्रा ने स्वाइन फ्लू के कारणों और लक्षणों के बारे में बताया कि स्वाइन फ्लू एच-1 एन-1 (H1N1) इन्फ्लुएंजा ‘ए’ के कारण होता है. यह वायरस वायु कण एवं संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैलता है. इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है. बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण तीव्र गति से प्रभावी होने का अधिक खतरा रहता है. विशेष रूप से हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआईव्ही और कैंसर से पीड़ित या ऐसे मरीज जो कि स्टेराइड की दवा का सेवन लम्बे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा बना रहता है.