एनके भटेले, भिंड। जिले के युवकों ने संस्था गठित कर पिछले 10 साल से बेसहारा बेजुबान जानवरों का इलाज और सेवा कर इंसानियत का मिसाल कायम कर रहे हैं। बेजुबान जानवरों के प्रति लगाव और सेवाभाव को देखते हुए “इंसानियत युवा मंडल” असली मायने सीखा रही है। इंसानियत युवा मंडल के सदस्य बस स्टैंड के पास जानवरों के लिए एक छोटा सा एनिमल केयर होम संचालित करते हैं। यहां बेसहारा, घायल और बीमार जानवरों और पक्षियों का उपचार किया जाता है।
इंसानियत युवा मंडल समिति के सदस्य अक्षय इंसानियत ने बताया कि इस समूह की नींव 2012 में रखी गयी। उनके गुरुजी अनंत इंसानियत इस ग्रुप के पहले शख्स थे। जिनके पशु प्रेम ने भिंड के 400 से ज्यादा युवाओं को प्रभावित किया। 2015 में इस ग्रुप का रजिस्ट्रेशन इंसानियत युवा मंडल समिति के नाम से कराया है। अक्षय कहते हैं कि, सुनने वाले की मदद करने वाले तो बहुत हैं लेकिन बेजुबानों की मदद को कोई आगे नहीं आता है। कई जानवर कुत्ते, बंदर, पक्षी हादसों में घायल हो जाते हैं। उनके मदद के लिए कोई आगे नहीं आता है। किसी को तो पहल करनी होगी इसी सोच ने इस समूह को जन्म दिया था। कुछ समय पहले कलेक्टर सतीश कुमार ने वेटरनरी विभाग से बस स्टैंड के पास एक जगह उपलब्ध कराई। जहां एनिमल केयर होम संचालित होने लगा।
लोग आज इसे आश्रम कहते हैं। इस आश्रम में कई तरह के जानवर और पक्षी इलाज के लिए लाए जाते हैं जिनमें ज्यादातर जानवर आवारा या छोड़े हुए बेसहारा हैं। यहां इलाज और खाने की व्यवस्था की जाती है। नगर पालिका द्वारा आश्रम के आधे हिस्से में शेड, किचन, तार फेंसिंग और बाउंड्री वॉल बनवाकर दी। इलाज के इक्विपमेंट, टेबल्स, एनिमल बेड्स, व्हील वॉकर्स, पिंजड़े और जरूरत के लिए एक एम्बुलेंस भी समिति सदस्यों ने आपस में चंदा कर खरीदे है। यहां करीब आधा सैकड़ा जानवरों को इलाज किया जा रहा है। समूह के 400 सदस्यों में से करीब 80 सदस्य रोज सेवा के लिए समय देते हैं।शिल्पा इंसानियत ने बताया कि वे पिछले 10 साल से इस समूह से जुड़ी हैं। मोहित इंसानियत शुरू से ही इस समूह का हिस्सा हैं।
संस्था के इस पहल की तारीफ एनिमल राइट एक्टिविस्ट और सांसद मेनका गांधी भी कर चुकी है। जानवरों की सेवा करना अब इस इंसानियत समूह के सभी सदस्यों के जीवन का हिस्सा बन चुका है। कहीं भी घायल जानवर मिलने पर समिति की एम्बुलेंस पहुंचती है। उसे इलाज और प्यार दोनों दिया जाता है। जिसका नतीजा है कि अब तक कई बेजुबान जानवर आज दोबारा अपने पैरों खड़े हैं।
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