आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। शासन-प्रशासन चाहे जितने भी दावे कर ले लेकिन बस्तर में आज भी स्वास्थ्य सुविधाएं कांवड़ के भरोसे हैं। सिस्टम की असलियत तब सामने आती है जब कोई महिला प्रसव पीड़ा में होती है और समय पर एंबुलेंस भी सड़क के अभाव में गांव तक नहीं पहुंच पाती।

बस्तर जिले के बास्तानार ब्लॉक के बड़े बोदेनार गांव की यह तस्वीर एक बार फिर पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करती है। यहां लच्छो नाम की गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा हुई। परिवार ने तत्काल 102 महतारी एक्सप्रेस को कॉल किया। एंबुलेंस समय पर रवाना भी हुई, लेकिन रास्ते में उफनती नदी ने उसे गांव तक पहुंचने से रोक दिया। अब विकल्प एक ही था कांवड़। ग्रामीणों ने तत्काल बांस और कपड़ों से कांवड़ बनाई, लच्छो को उसमें बैठाया और जान जोखिम में डालकर उफनती नदी पार की।

गनीमत रही कि नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक नहीं था। किसी तरह ग्रामीण एंबुलेंस तक पहुंचे और फिर लच्छो को बड़ेकिलेपाल सीएचसी ले जाया गया, जहां उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

ये घटना सिर्फ एक गांव की नहीं है, बल्कि पूरे बस्तर की हकीकत है। संभागीय मुख्यालय वाले जिले में अगर हालात ये हैं तो दूर-दराज के इलाकों की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। क्या यही है बस्तर में स्वस्थ शासन की तस्वीर?