रक्षा मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, नई दिल्ली में आयोजित प्रेसवार्ता में बुधवार को कलाकारों ने प्रेस के सम्मुख अपने-अपने राज्यों की सांस्कृतिक झलक पेश की. इस दौरान उत्तराखण्ड राज्य के कलाकारों ने उत्तराखण्ड की पांरपरिक वेशभूषा में राष्ट्रीय रंगशाला में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. जिसे उपस्थित लोगों ने जमकर सराहा. सूचना विभाग उत्तराखण्ड के संयुक्त निदेशक और नोडल अधिकारी के.एस.चौहान के नेतृत्व में उत्तराखण्ड राज्य से 16 कलाकार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखण्ड झांकी में भाग ले रहे हैं. गणतंत्र दिवस में कर्तव्य पथ पर उत्तराखण्ड की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी की थीम “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” रखा गया है. गणतंत्र दिवस समारोह पर कर्तव्य पथ में उत्तराखण्ड राज्य की झांकी मार्च पास्ट करते हुऐ चतुर्थ स्थान पर देखने को मिलेगी.

देवभूमि उत्तराखण्ड राज्य की इस झांकी में राज्य की समृ़द्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुन्दरता एवं साहसिक खेल और पर्यटन को दर्शाया गया है. झांकी के अग्र भाग में उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध ऐपण कला को बनाते हुए एक पारम्परिक वेशभूषा में महिला को दिखाया गया है. यह ऐपण आर्ट आज विश्वभर में प्रसिद्ध है. यह उत्तराखण्डी महिलाओं द्वारा पूजा कक्षों, घरों के प्रवेश द्वारों के फर्श और दीवारों पर बनायी जाती है. इसको बनाने के लिए चावल का आटा और गेरु का उपयोग किया जाता है.

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झांकी के ट्रेलर पार्ट में उत्तराखण्ड के साहसिक खेलों एवं साहसिक पर्यटन को चित्रित किया गया है, जैसे- नैनीताल और मसूरी में हिल साइकिलिंग, फूलों की घाटी और केदारकांठा की ट्रैकिंग, ओली में स्नो स्कीइंग और ऋषिकेश में योगा, बंजी जम्पिंग, जिप-लाइनिंग और रॉक क्लाइम्बिंग की रोमांचकारी गतिविधियों को दर्शाया गया है. उत्तराखण्ड की यह झांकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने तथा साहसिक खेलों और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दर्शायी गई है. के.एस चौहान ने कहा कि कर्तव्य पथ पर इस बार उत्तराखण्ड की झांकी “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” सबके लिये आकर्षण का केन्द्र रहेगी. उन्होंने बताया कि झांकी में उत्तराखंड की पहचान, प्राकृतिक सौंदर्य और एडवेंचर स्पोर्ट्स की संभावनाओं को प्रदर्शित किया जा रहा है, हमारा राज्य न केवल अपने आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह साहसिक खेलों के क्षेत्र में भी अग्रणी है.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार राज्य सरकार द्वारा सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और साहसिक खेलों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए गणतंत्र दिवस की परेड में झांकी के रूप में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया गया है. मुख्यमंत्री के निर्णय से साहसिक खेलों के लिए अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. राज्य की भौगोलिक स्थिति साहसिक खेलों के अनुकूल है, जिसको देखकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में रोमांच के शौकीन लंबे समय से ट्रैकिंग, राक क्लाइंबिंग, स्कीइंग और रिवर राफ्टिंग के लिए आ रहे हैं.

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चौहान ने बताया कि इस महीने उत्तराखण्ड में दिनांक 28 जनवरी से प्रारम्भ हो रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हम सभी के लिए एक गौरव का क्षण है. उत्तराखण्ड राज्य की झांकी का निर्माण स्मार्ट ग्राफ आर्ट एडवर्टाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सिद्धेश्वर कानूगा द्वारा किया जा रहा है. इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड के लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया जाएगा.