शिखिल ब्यौहार, भोपाल। राजधानी में 14 से 17 नवंबर तक 78 वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आयोजन होना है। जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत 40 देशों के मुस्लिम शामिल होंगे। विश्व स्तरीय कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोरों पर है। वहीं साधु-संतों ने हर पंडाल, हर व्यक्ति, हर पग की मॉनिटरिंग की मांग की है। साथ ही कार्यक्रम के अंदर रिकॉर्डिंग कराने की मांग करते हुए उसे देश की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है।
भारत में सिर्फ भोपाल में होता है आयोजन
बता दें कि दुनिया में केवल तीन देश हैं जहां पर आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आयोजन होता है। जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत का भोपाल शामिल है। साधु, संत और संन्यासियों ने इसे लेकर बैठक की जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की। महामंडलेश्वर और अखिल भारतीय साधु संत सन्यासी परिषद के अध्यक्ष अनिलानंद महाराज ने कहा, ‘जब महाकुंभ के पंडालों में शासन प्रशासन को पहुंच की स्वतंत्रता थी तो इज्तिमा के पंडालों की भी पूरी रिकॉर्डिंग हो।
इज्तिमा की महाकुंभ की तर्ज पर निगरानी की मांग
बैठक के बाद प्रशासनिक अधिकारियों से भी आज मुलाकात की। उनका कहना है कि मुसलमान के इज्तिमा की महाकुंभ की तर्ज पर ही निगरानी हो। धार्मिक आयोजन के नाम पर देश विरोधी बात और गतिविधियों से इंकार नहीं किया जा सकता। उनकी मांग है कि आयोजन और पंडाल के एक-एक गतिविधि की शासन-प्रशासन रिकॉर्डिंग करे।
इज्तिमा में रिकॉर्डिंग को देश की सुरक्षा के लिए बताया बेहद जरूरी कदम
साधु-संतों का सवाल है कि इज्तिमा में रिकॉर्डिंग क्यों नहीं कराई जाती, आखिर इससे क्या तकलीफ है? महाकुंभ समेत सभी हमारे धार्मिक आयोजन में सभी सनातनी पूरा सहयोग करते हैं। देश की सुरक्षा के लिए अब यह कदम बेहद जरूरी है। राष्ट्र हित और राष्ट्र सुरक्षा भी साधुओं का कर्तव्य है। इसे लेकर मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करेंगे।
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