पंगू सिस्टम को शर्म नहीं आती… ट्रायसाइकिल के लिए दर-दर की ठोकरें का खा रहा दिव्यांग, 300 रुपये देकर मजदूर की पीठ पर पहुंचा कलेक्ट्रेट, आखिर कहां सो रहे जिम्मेदार?