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ताइपे। ताइवान की संसद ने संशोधन विधेयकों को पारित किया है. यह प्रस्ताव राष्ट्रपति की शक्तियों को कम करते हैं. इन बदलावों को चीन का पक्ष लेने वाले निर्णय के रूप में देखा जा रहा है. विपक्षी नियंत्रण वाली संसद में पारित प्रस्ताव से द्वीप के राष्ट्रपति की शक्तियां कम हो गई हैं. इससे संसद में पक्ष और विपक्ष में धक्का-मुक्की हुई. संसद के बाहर भी विरोध भड़क गया और हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए. ये संशोधन विपक्षी नेशनलिस्ट पार्टी और उसके सहयोगी लाए थे.
संसद के भीतर हंगामा
सदन के भीतर दोनों पक्ष बैनरों से लैस थे, फ्लोर पर चल रही बहस शोर-शराबे और धक्का-मुक्की में बदल गई. विपक्षी नेशनलिस्ट पार्टी और उसके सहयोगियों के किए गए बदलावों से निकाय को बजट नियंत्रित करने की अधिक शक्ति मिल गई है. इसमें रक्षा खर्च भी शामिल है, जिसे विपक्षी पार्टी ने अवरुद्ध कर दिया है. कई लोग इस कदम को चीन को रियायत देने के रूप में देख रहे हैं.नेशनलिस्ट पार्टी आधिकारिक रूप से चीन के साथ एकीकरण की समर्थक है.
कई देशों ने की चीन की आलोचना
अमेरिका और अन्य देशों ने इसकी आलोचना की है. जनवरी में हुए चुनाव में ताइवान की संसद पर नेशनलिस्ट पार्टी का नियंत्रण हो गया, जबकि राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के लाई चिंग-ते चुने गए. राष्ट्रपति की पार्टी डीपीपी चीन से ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करती है.
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