लखनऊ। आगामी 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या के मंदिर में भगवान श्रीराम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसको लेकर श्रीराम मंदिर के भव्य मंदिर का निर्माण जोर शोर से चल रहा है. इस बीच मकराना का मार्बल एक बार फिर देशभर में चर्चा में है. Read More –‘मां ने मुझे बेच दिया… बचा लो’: कलयुगी मां ने चंद पैसों के लिए बेटी का कर दिया सौदा, फिर लड़की के साथ जो हुआ…
दरअसल, राजस्थान के मकराना के मार्बल का उपयोग अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के मंदिर में हो रहा है. श्रीराम मंदिर के गर्भगृह की आसन शिला मकराना के मार्बल से बनी है, इस पर श्रीराम विराजेंगे. मकराना के इस मार्बल को संगमरमर भी कहा जाता है.
मकराना मार्बल विश्व में अपनी सफेदी के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन विश्व के सात अजूबों में से एक अजूबा ताजमहल में मकराना के मार्बल का सर्वप्रथम प्रयोग किया गया. बाद में बिरला मंदिर, विक्टोरिया भवन और अबू धाबी की शेख जाईद मस्जिद में मकराना का मार्बल का प्रयोग हो चुका है, वर्तमान में राम मंदिर के निर्माण में मकराना का मार्बल ले जाया गया.
मकराना में मार्बल के खदानें 758 हैं, जिनमें 12 लाख टन सालाना उत्पादन है. भूगर्भ विशेषज्ञों के अनुसार, अब भी खदानों में 21 करोड़ टन मार्बल मौजूद है, जिसे वर्तमान में मौजूद संसाधनों से निकाले तो 150 साल में भी मार्बल खत्म नहीं होगा. एक लाख लोगों को यहां प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है तथा 7000 मार्बल गोदाम, 600 चिराई मशीनें, 80 कैल्शियम पाउडर प्लांट है, जबकि 80 हजार श्रमिक नियोजित हैं.
मकराना जो कि उपखंड मुख्यालय है और एक छोटा शहर है, यह वर्तमान में डीडवाना जिले के क्षेत्र में आता है, लेकिन कुछ समय यह नागौर की एक विधानसभा क्षेत्र व तहसील थी. मकराना का जिक्र होते ही सबसे पहले सफेद मार्बल का जिक्र होता है, लेकिन यहां पर मार्बल से तरह-तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं. ऐसे ही घरों में भगवान के मंदिर को हाथों और मशीनों की सहायता से मंदिर बनाए जाते हैं. अब तो अयोध्या में बन रहे मंदिर में भी इसी मार्बल का उपयोग हो रहा है.
मकराना का मार्बल विश्व प्रसिद्ध है, इस बात को लेकर कोई संशय नहीं है. मार्बल से कई प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं, जिसमें घरेलू सामान से लेकर हर प्रकार के आईटम बनाए जाते हैं. मकराना के मार्बल को मकान निर्माण में फर्श से लेकर भगवान की मूर्ति बनाने में भी काम में लिया जाता है.
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