नई दिल्ली। भारत में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब के साथ त्योहारों के दौरान समुदाय के बच्चों का अरबी कपड़ों में नजर आना सामान्य है, लेकिन मध्य एशिया में एक ऐसा मुस्लिम बहुल देश भी है, जिसने हिजाब के साथ त्योहारों में विदेशी परिधानों में बच्चों के जश्न मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसे भी पढ़ें : ब्लेज स्टार : जीवनकाल में एक बार नजर आने वाली खगोलीय घटना का आप बनेंगे गवाह, 3000 प्रकाश वर्ष दूर घटी है घटना…
ताजिकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन ‘मजलिसी मिल्ली’ ने 19 जून को एक मसौदा विधेयक को मंजूरी दी, जिसमें देश में मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगाया गया है. इमोमाली रहमान के नेतृत्व वाली ताजिक सरकार ने विधेयक पारित किया है, जिसमें दो प्रमुख मुस्लिम त्योहारों – ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा के दौरान ‘विदेशी परिधानों’ के साथ-साथ बच्चों द्वारा जश्न मनाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.
इसके पहले इस विधेयक को 9 जून को ताजिक संसद के निचले सदन में पारित किया गया था. यह “ताजिक संस्कृति के हिसाब से विदेशी कपड़े” पहनने, आयात करने, बेचने के साथ विज्ञापन करने पर प्रतिबंध लगाएगा. यही नहीं इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के लिए लगभग $740 से लेकर कानूनी संस्थाओं के लिए $5,400 तक का जुर्माना तय किया गया है. वहीं सरकारी अधिकारियों और धार्मिक अधिकारियों को दोषी पाए जाने पर क्रमशः $3,700 और $5,060 के जुर्माने का के साथ काफी अधिक जुर्माना भुगतना पड़ता है.
राष्ट्रपति रहमोन द्वारा जल्द ही मसौदा विधेयक पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है. इस विधेयक पर ताजिक सांसद माव्लौदाखोन मिर्ज़ोयेवा ने कहा, “मसौदा कानून के संशोधित संस्करण में ताजिक संस्कृति के लिए विदेशी माने जाने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध शामिल है.”
बता दें कि इस्लामी संस्कृति पर प्रतिबंध लगाने और ताजिक संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रयासों का इतिहास नया नहीं है. हिजाब पर लगाम 2007 में शुरू हुई, जो सभी सार्वजनिक संस्थानों तक फैल गई और बाजार में छापे और सड़क पर जुर्माना लगाने की ओर ले गई. मिडिल ईस्ट मॉनिटर के अनुसार, अधिकारियों ने राष्ट्रीय पोशाक को बढ़ावा दिया है, 2017 में महिलाओं को ताजिक कपड़े पहनने का आग्रह करते हुए संदेश भेजे हैं और अनुशंसित पोशाकों पर 376-पृष्ठ की एक गाइडबुक भी जारी की है.
ताजिकिस्तान ने अनौपचारिक रूप से दाढ़ी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, पिछले एक दशक में पुलिस द्वारा कथित तौर पर हज़ारों पुरुषों की दाढ़ी जबरन काटी गई है. रेडियो लिबर्टी की रिपोर्ट के अनुसार, ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे के कई निवासियों ने कहा है कि वे कुछ प्रकार के कपड़ों पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि लोगों को यह चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वे क्या पहनना चाहते हैं.
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