कांकेर। प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में लाए गए भू-राजस्व संहिता संशोधन 2017 की गूंज सदन से लेकर अब सड़कों में गूंजने लगी है. विधेयक के विरोध में अब आदिवासी लामबंद हो रहे हैं. आज प्रदेश भर में सर्व आदिवासी समाज ने संशोधन विधेयक के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. कांकेर में सर्वआदिवासी समाज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और उनके पुतले का दहन किया.
आदिवासी नेताओं का कहना है कि आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है और लगातार सत्ता में बने रहने का फायदा उठाते हुए कानून की परवाह भी नहीं कर रही. सर्व आदिवासी समाज ने नेशनल हाइवे पर ज्ञानी चौक में प्रदर्शन किया, सरकार के विरोध में नारे लगाए और जमकर खरीखोटी सुनाई. इसके साथ ही चेतावनी दी कि यदि सरकार विधेयक को वापस नहीं लेती है तो पुरजोर विरोध किया जाएगा.
आदिवासी नेता शिशुपाल सोरी ने कहा कि सरकार जंल, जंगल और जमीन से आदिवासियों के बेदखल करना चाहती है. उन्होंने कहा कि जब जमीन ही नहीं होगी तो आदिवासी कहाँ जाएंगे. छत्तीसगढ़ की सरकार उद्योगपतियों के एजेंट के तौर पर काम कर रही है.
वहीं पूर्व सांसद और कद्दावर आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने भाजपा सरकार में आदिवासी मंत्रियों पर जमकर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के सामने मंत्री महेश गागड़ा, केदार कश्यप, और रामसेवक पैकरा सरकार के आदिवासी विरोधी नीतियों का विरोध नहीं करते हैं. आदिवासियों के नाम पर सत्ता सुख भोगने वाले इन आदिवासी नेताओं को सबक सिखाया जायेगा.
आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. उसके बाद भी कांकेर पुलिस प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राजस्वमंत्री का पुतला दहन होने से नहीं रोक सकी. आदिवासी समुदाय ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं आदिवासी समुदाय के विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब दो घंटे तक नेशनल हाइवे जाम रहा है. इस धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए.
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