Jallikattu Video: पोंगल (Pongal) के मौके पर आयोजित जल्लीकट्टू त्योहार में तमिलनाडु (Tamil Nadu) के अलग-अलग जिलों में गुरुवार को 7 लोगों की मौत (7 people died) हुई। रोमांच और जोखिम से भरा जल्लीकट्टू और मंजुविरट्टू कार्यक्रमों में ये मौतें हुई है। साथ ही 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। अलग-अलग घटनाओं में दो बैलों की भी मौत हो गई है। क बैल की मौत पुदुक्कोट्टई में कार्यक्रम के दौरान हुई। पुलिस ने बताया कि बैल और बैल के मालिक की मौत शिवगंगा में सिरावायल मंजुविरट्टू में हुई। मेट्टुपट्टी गांव में कम से कम 70 लोग घायल हो गए।

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पुलिस ने बताया कि 1 शख्स की मौत शिवगंगा जिले के सिरवायल मंजुविरट्टू में मौत हो गई। वह इस खेल में भाग लिया था। वहीं, मदुरै के अलंगनल्लूर में खेल देखने आए दर्शक को सांड ने घायल कर दिया। अस्पताल में उसकी मौत हो गई। वहीं, 5 अन्य लोगों की भी अलग-अलग जिलों में जल्लीकट्टू के कारण मौत हुई। तिरुचिरापल्ली, करूर और पुदुकोट्टई जिलों में जल्लीकट्टू कार्यक्रम के दौरान बैल ने दर्शकों पर हमला कर दिया। उसने दो दर्शकों को सींग मार दिया और बैल के मालिक समेत 148 लोग घायल हो गए। 

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बता दें कि 2025 का पहला जल्लीकट्टू पुदुक्कोट्टई के गंडारवाकोट्टई तालुक के थचानकुरिची गांव में शुरू हुआ था। इसके बाद यह त्रिची, डिंडीगुल, मनाप्पराई, पुदुक्कोट्टई और शिवगंगई जैसे जिलों में भी आयोजित होने लगा। 600 से ज्यादा बैलों को इस खेल में शामिल किया गया है।

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क्या है जल्लीकट्टू

जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक पारंपरिक खेल है। इसमें बैलों को काबू करने की प्रतियोगिता होती है। यह खेल पोंगल उत्सव के तीसरे दिन मट्टू पोंगल पर आयोजित किया जाता है। इसका इतिहास 400-100 ईसा पूर्व तक जाता है। जब तमिलनाडु के आयर समुदाय के लोग इसे खेलते थे। ‘जल्लीकट्टू’ शब्द ‘जल्ली’ (सोने-चांदी के सिक्के) और ‘कट्टू’ (बंधा हुआ) से बना है। इस खेल में बैलों की पीठ पर सिक्कों की थैली बांधी जाती थी, जिसे प्रतिभागी बैल को काबू करके निकालने की कोशिश करते थे।

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कैसे खेला जाता है ये खेल

इस खेल में एक प्रशिक्षित बैल को भीड़ के बीच छोड़ा जाता है और प्रतिभागी उसे उसकी पीठ पर मौजूद कूबड़ पकड़कर रोकने की कोशिश करते हैं। बैल को काबू करने वाले प्रतिभागी और सबसे ताकतवर बैल को पुरस्कार दिए जाते हैं। इस खेल में मुख्य रूप से पुलिकुलम और कंगायम नस्ल के बैलों का उपयोग किया जाता है। विजेता बैल बाजार में ऊंची कीमत पर बिकते हैं और उन्हें प्रजनन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

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विवादों से रहा पुराना नाता, सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा मामला

जल्लीकट्टू लंबे समय से विवादों में घिरा रहा है।इसमें बैलों को जानबूझकर उकसाया जाता है, जिससे वे डरकर भागने लगते हैं। उन्हें रोकने के प्रयास में प्रतिभागी और दर्शक घायल हो जाते हैं। कई बार बैलों को शराब पिलाई जाती है, उनकी आंखों में मिर्ची डाली जाती है या उनके साथ हिंसा की जाती है। यह पशु क्रूरता के कानूनों का उल्लंघन करता है।

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2006 में मद्रास हाईकोर्ट ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने 2009 में इसे नियमित करने के लिए एक कानून पारित किया, लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे पशु क्रूरता मानते हुए प्रतिबंधित कर दिया। 2016 में केंद्र सरकार ने चुनावों से पहले प्रतिबंध हटाने की कोशिश की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रोक दिया था।

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