परिसीमन को लेकर तमिलनाडु (Tamil Nadu) में संग्राम मचा हुआ है. राज्य के CM और DMK नेता एम के स्टालिन (M K Stalin) बार-बार यह दावा कर रहे है कि प्रस्तावित लोकसभा सीटाें के सीमांकन से राज्य में संसदीय सीटें कम हो जाएंगी. इस बीच स्टालिन ने 5 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. बैठक में 45 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है. वहीं BJP इस बैठक में शामिल नहीं होगी. भाजपा ने मीटिंग का बहिस्कार करने का ऐलान करते हुए कड़ा विरोध जताया है.
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तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन ने अपने 72वें जन्मदिन के मौके पर कहा था कि नए सीमांकन के चलते तमिलनाडु की लोकसभा सीटें मौजूदा 39 से घटकर 31 हो सकती हैं, यानी राज्य को 8 सीटों का नुकसान हो सकता है. अब इस पर उन्होंने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें परिसीमन और तीन भाषा विवाद पर चर्चा होगी.
बीजेपी ने इस बैठक के विरोध जताया है. भाजपा नेताओं ने बताया कि बैठक का बहिष्कार करने का फैसला गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया है. बीजेपी ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को एक विस्तृत पत्र भेजकर बैठक में शामिल न होने के कारण बताए हैं. भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए सीमांकन और तीन-भाषा नीति से जुड़े सवालों का उन्होंने जवाब दिया है और कई पलटकर सवाल भी किए हैं.
पत्र में बीजेपी ने सीएम से पूछा कि किस आधार पर आप यह दावा कर रहे हैं कि तमिलनाडु की लोकसभा सीटें कम होंगी? यह जानकारी आपको किसने दी? बीजेपी का कहना है अगर इसका सोर्स सामने लाया जाता है, तो हम अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं. वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी पट्टाली मक्कल काची (PMK) ने भी इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने की घोषणा की है.
केंद्र और बीजेपी ने किया खारिज
बता दें कि सीएम स्टालिन के इस दावे को केंद्र सरकार और बीजेपी दोनों ने खारिज कर दिया है. बीतें दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्टालिन पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रस्तावित सीमांकन में किसी भी दक्षिण भारतीय राज्य की लोकसभा सीटें कम नहीं की जाएंगी. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया जनसंख्या अनुपात के आधार पर होगी.
बैठक तीन भाषा विवाद पर भी होगी चर्चा
सर्वदलीय बैठक में तीन-भाषा नीति का मुद्दा भी इस बैठक में चर्चा का विषय होगा. सत्ताधारी डीएमके लंबे समय से इस नीति का विरोध कर रही है और साफ कह चुकी है कि तमिलनाडु केवल तमिल और अंग्रेजी भाषा से संतुष्ट है. द्रमुक ने केंद्र की भाजपा सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है. केंद्र ने इस आरोप को खारिज कर दिया है.
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