कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। सुर सम्राट तानसेन की नगरी संगीतधानी ग्वालियर इस साल तानसेन समारोह का शताब्दी वर्ष मनाने जा रही है। 14 दिसंबर को गमक कार्यक्रम से इसका आगाज होगा। वहीं मुख्य समारोह 18 दिसंबर को हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर आयोजित होगा। ऐसे में इस बार मुख्य कार्यक्रम से पहले जयपुर, भोपाल, मुम्बई और ग्वालियर में राष्ट्रीय संगीत सभाएं आयोजित की जाएंगी। वहीं ग्वालियर में आयोजित सभा में स्थानीय कलाकरों को स्थान देते हुए मौका दिया जाएगा।

शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनियां के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव ‘तानसेन समारोह’ में इस बार नए-नए रंग जुड़ रहे हैं। तानसेन समारोह के पहले से ही संगीतधानी ग्वालियर की फिजाएं सुर-साज की मीठी संगत से महकेंगीं। संगीत सम्राट तानसेन की याद में आयोजित होने वाले शास्त्रीय संगीत के सालाना महोत्सव का यह शताब्दी वर्ष है। इस बात को ध्यान में रखकर ग्वालियर में तानसेन समारोह से पहले ही सुर-संगीत की दो महफिलें सजेंगीं।

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भारतीय और विदेशी कलाकार करेंगे गायन वादन

इसके तहत ‘तानसेन स्वर स्मृति’ के रूप में संगीतधानी ग्वालियर में 6 दिसंबर को ‘ग्वालियर का सांगीतिक वैभव’ और 10 दिसंबर को ‘गालव वाद्यवृंद-सुर ताल समागम’ के नाम से संगीत सभायें सजेंगीं। इन कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगीं। साल 2023 का तानसेन अलंकरण इस बार कोलकाता के तबला वादक पंडित स्वपन चौधरी को दिया जाएगा। साथ ही 2023 राजा मानसिंह तोमर अलंकरण इंदौर की सानंद संस्था विभूषित किया जाएगा। 19 दिसंबर तक चलने वाले समारोह में 150 भारतीय और 10 विदेशी कलाकार गायन वादन करेंगे।

कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार- कलेक्टर

कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि शताब्दी समारोह का शुभारंभ संगीत सम्राट तानसेन की समाधि पर चादरपोशी और हरि कथा मिलाद के साथ 18 दिसंबर की सुबह होगा। शाम 7 बजे से मुख्य समारोह का औपचारिक शुभारंभ होगा। विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह में प्रस्तुति देने आ रहे ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने और शहरवासियों में शताब्दी तानसेन समारोह के प्रति जागरूक करने के लिये जिला प्रशासन, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के साथ ही शास्त्रीय संगीत के स्थानीय कलाकारों के सहयोग से इन कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई है।

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ग्वालियर का सांगीतिक वैभव

तानसेन समारोह के पूर्व रंग कार्यक्रमों की श्रृंखला में 6 दिसंबर को शाम 5 बजे भारतीय पर्यटन व यात्रा प्रबंधन संस्थान के ऑडिटोरियम में ‘ग्वालियर का सांगीतिक वैभव’ के नाम से संगीत सभा सजेगी। इस कार्यक्रम की संकल्पना राजा मानसिंह तोमर संगीत व कला विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. इस्मिता सहस्त्रबुद्धे की है। यह आयोजन ग्वालियर की समृद्ध संगीत विरासत की उत्पत्ति की सम्पूर्ण यात्रा पर केंद्रित होगा। जिसमें ध्रुपद और ख्याल गायन के साथ लोक गायन की प्रस्तुति भी होगी।

इस कार्यक्रम में राजा मानसिंह तोमर संगीत व कला विश्वविद्यालय के आचार्य और विद्यार्थी प्रस्तुतियां देंगे। इसके अलावा पूर्व रंग कार्यक्रम की विशिष्ट संगीत सभा ‘गालव वाद्यवृंद-सुर ताल समागम’ 10 दिसंबर को शहर के हृदय स्थल महाराज बाड़े पर शाम 5.30 बजे सजेगी। इस सभा में ग्वालियर घराने के मूर्धन्य संगीत साधक पं. उमेश कम्पूवाले और सुविख्यात ध्रुपद गुरू अभिजीत सुखदाड़े का ध्रुपद गायन होगा। साथ ही डॉ. पारूल बांदिल भक्ति गीत प्रस्तुत करेंगे। इस आयोजन में पाश्चात्य और भारतीय वाद्यों की जुगलबंदी से सुरों का उत्सव साकार होगा। तानसेन समारोह के इतिहास में यह पहला मौका है, जब सुरों की नगरी ग्वालियर में समारोह से पहले स्थानीय कलाकारों के सहयोग से संगीत महफिलें सज रही हैं।

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