7 अक्टूबर 2025 — बाजार में आज सिर्फ एक सवाल गूंज रहा है — क्या टाटा कैपिटल का IPO वाकई “सस्ता सौदा” है या बस नाम का जादू है जो निवेशकों को खींच लाया है? देश के सबसे भरोसेमंद समूहों में से एक, टाटा ग्रुप की यह कंपनी अब पूंजी बाजार में अपने हिस्से की जगह तलाश रही है. और यह सिर्फ एक IPO नहीं, बल्कि 2025 का अब तक का सबसे बड़ा फाइनेंशियल इवेंट बन गया है.

15,500 करोड़ का सबसे बड़ा IPO — निवेशकों में जबरदस्त उत्साह

टाटा कैपिटल लिमिटेड ने लगभग 15,500 रुपए करोड़ के इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की घोषणा की है. 7 अक्टूबर को खुले इस इश्यू का आज दूसरा दिन है, और पहले ही दिन यह करीब 40% तक सब्सक्राइब हो चुका था. यह आंकड़ा निवेशकों के उत्साह को दिखाता है — लेकिन बाजार में चर्चा सिर्फ सब्सक्रिप्शन की नहीं, बल्कि वैल्यूएशन की वास्तविकता की भी है.

ब्रोकरेज फर्मों की राय दो हिस्सों में बंटी है —कुछ के लिए यह IPO एक लॉन्ग-टर्म गोल्ड माइन है,तो कुछ इसे “फेयर वैल्यू के ऊपरी छोर” पर मान रहे हैं.

वैल्यूएशन पर असली बहस : सस्ता या महंगा?

कंपनी ने ₹310 से ₹326 प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय किया है. उच्चतम स्तर ₹326 पर, टाटा कैपिटल की मार्केट वैल्यूएशन लगभग ₹1.38 लाख करोड़ बैठती है.यहां कंपनी का प्राइस-टू-बुक रेशियो (P/B) लगभग 3.4 से 4.1 गुना, और प्राइस-टू-अर्निंग्स रेशियो (P/E) करीब 32 गुना आता है — जो भारत की अग्रणी NBFCs, जैसे बजाज फाइनेंस और चोलामंडलम फाइनेंस के बराबर है.

इससे साफ है कि कंपनी ने अपने शेयर डिस्काउंट पर नहीं, प्रीमियम पर पेश किए हैं — और यही जगह है जहां से सस्पेंस शुरू होता है.

एक्सपर्ट्स की राय : “फेयर, लेकिन ऊंची उड़ान पर”

देवेन चोकसी रिसर्च का कहना है कि टाटा कैपिटल का वैल्यूएशन “करीब-करीब वाजिब” है. कंपनी का RoA (रिटर्न ऑन एसेट्स) 1.9% और P/B 4.1x है, जबकि NBFC सेक्टर का औसत RoA 3% और P/B 3.7x है.

SBI Securities ने भी वैल्यूएशन को “फेयर” बताया, मगर चेताया कि यह “फेयर रेंज के ऊपरी छोर” पर है. उनके मुताबिक, ‘टाटा मोटर्स फाइनेंस’ के साथ चल रहे मर्जर से कंपनी की निकट भविष्य की प्रॉफिटेबिलिटी पर हल्का दबाव रह सकता है.

ICICI डायरेक्ट ने इसे “अच्छी तरह कैपिटलाइज्ड, डायवर्सिफाइड और विवेकपूर्ण मैनेज की गई NBFC” बताया. उनका मानना है कि टाटा ग्रुप की ब्रांड इक्विटी और गवर्नेंस क्वालिटी इसे लॉन्ग-टर्म के लिए भरोसेमंद निवेश बनाती है.

आनंद राठी और आदित्य बिड़ला कैपिटल जैसे ब्रोकरेज हाउस भी इसे “सब्सक्राइब फॉर लॉन्ग टर्म” की कैटेगरी में रख रहे हैं.

टाटा कैपिटल की वित्तीय सेहत : स्थिर लेकिन मार्जिन कम

टाटा कैपिटल का इतिहास बताता है कि यह 18 सालों से लगातार मुनाफा कमाने वाली कंपनी है. वित्त वर्ष 2023 से 2025 के बीच कंपनी की लोन बुक 37% CAGR से बढ़ी. जून तिमाही के अंत में इसका लोन पोर्टफोलियो ₹2.33 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जिसमें रिटेल और SME लोन का हिस्सा 87.5% है. फिर भी, कंपनी के मार्जिन्स और रिटर्न मेट्रिक्स अभी भी अपने प्रतिस्पर्धियों से पीछे हैं:

NIM (नेट इंटरेस्ट मार्जिन): लगभग 5%
रिटर्न ऑन एसेट्स (RoA): करीब 2%
रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE): 12–13%

इसके मुकाबले, बजाज फाइनेंस और चोलामंडलम फाइनेंस के रिटर्न काफी ऊंचे हैं. एनालिस्ट्स का कहना है कि फंडिंग कॉस्ट में वृद्धि, क्रेडिट प्रोविजनिंग, और टाटा मोटर्स फाइनेंस के मर्जर इंटीग्रेशन कॉस्ट इसकी कम प्रॉफिटेबिलिटी की मुख्य वजहें हैं.

भरोसे की ब्रांड पर मिल रहा प्रीमियम वैल्यूएशन

टाटा कैपिटल को निवेशकों के बीच एक “ट्रस्ट प्रीमियम” मिल रहा है. भले ही मुनाफे की रफ्तार कम हो, लेकिन ‘टाटा’ नाम ही इसकी सबसे बड़ी बैलेंस शीट है. AAA (डोमेस्टिक) और BBB- (इंटरनेशनल) रेटिंग्स के साथ कंपनी भारत की सबसे सुरक्षित NBFCs में शामिल है.

ICICI डायरेक्ट का मानना है कि यह “ब्रांड और गवर्नेंस आधारित वैल्यूएशन” है, न कि सिर्फ अर्निंग्स आधारित. यानी निवेशक मुनाफे से ज्यादा, संस्थानिक भरोसे और स्थिरता पर दांव लगा रहे हैं.

रणनीति क्या हो निवेशकों की?

टाटा कैपिटल IPO में दो तरह के निवेशक हैं — एक वो, जो लिस्टिंग गेन के लिए इसमें उतरना चाहते हैं, और दूसरे वो, जो लॉन्ग-टर्म ग्रोथ पर भरोसा करते हैं.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि लिस्टिंग गेन शायद सीमित रहेगा, क्योंकि ज्यादातर पॉजिटिव फैक्टर्स पहले से प्राइस में शामिल हैं.लेकिन दीर्घकाल में यह IPO एक मजबूत पोर्टफोलियो ऐड-ऑन साबित हो सकता है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो ब्रांड वैल्यू और स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं.

भरोसे का IPO या वैल्यूएशन का खेल?

टाटा कैपिटल का IPO एक दिलचस्प मिश्रण है — जहां वित्तीय आंकड़े संयमित हैं, मगर ब्रांड वैल्यू ऊंची है.

सवाल अब यही है —क्या निवेशक “टाटा” नाम के भरोसे पर दांव लगाएंगे, या वैल्यूएशन की ऊंचाई उन्हें सोचने पर मजबूर करेगी?

यह तय है कि यह IPO आने वाले महीनों में भारतीय NBFC सेक्टर का बेंचमार्क डील बनने जा रहा है.