सुशील सलाम, कांकेर। छात्रावास अधीक्षिका को फंसाने के लिए शिक्षक ने छात्रा को मोहरा बनाने हुए गर्भपात और धर्मांतरण का आरोप मढ़वा दिया. जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए छात्रावास अधीक्षिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए जांच शुरू की. लेकिन जब जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि पूरा मामला फर्जी है. मामले में सूत्रधार शिक्षक को विभाग ने निलंबित कर दिया है, लेकिन अधीक्षिका का निलंबन वापस नहीं होने पर आदिवासी समाज के लोगों ने ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई वापस लेने की मांग की है. इसे भी पढ़ें : CG NEWS: महंगाई भत्ते और एरियर की मांग, 9 सितंबर को एक दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे मंत्रालयीन कर्मचारी संघ

मामला बीते मई जून माह का है, जिसमें शिकायत की गई थी कि छोटेबेठिया कन्या छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाली एक छात्रा गर्भवती हो गई है, जिसका आश्रम के अधीक्षक द्वारा आश्रम में ही गर्भपात कराया गया है. शिकायत के बाद प्रशासन ने कन्या आश्रम की अधीक्षिका को तत्काल निलंबन कर जांच दल का गठन कर दिया.

जांच टीम जब मामले की छानबीन करने गांव पहुंची, और शिकायतकर्ताओं से पूछताछ की तो हैरान कर देने वाली बात सामने आई. शिकायतकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने कोई शिकायत नहीं की है. वही जांच टीम को पूछताछ में पता चला कि आवेदन को छोटेबेटिया के ही एक शिक्षक अरुण सिन्हा द्वारा बनाया गया था, जिस पर शिकायतकर्ताओं से हस्ताक्षर कराया गया था.

मामले का खुलासा होने पर प्रशासन द्वारा शिक्षक अरुण सिन्हा पर कार्रवाई करते हुए निलबित कर दिया है. वहीं आदिवासी समाज के लोगों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंप अधीक्षिका पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते निलंबन की कार्रवाई को वापस लेने का मांग की है. मांग पूरी नहीं होने पर समाज के लोगों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

मामले में अधीक्षिका का निलंबन वापस लेने के लिए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने पहुंचे परलकोट उराव आदिवासी समाज के अध्यक्ष चमरू मिंज ने बताया कि आवासीय कन्या छात्रावास छोटेबेठिया की अधीक्षिका पर बेबुनियाद आरोप लगाया गया है. इन आरोप के पीछे आपसी रंजिश है. कन्या आश्रम अधीक्षिका के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की आदिवासी समाज निंदा करते हुए अधीक्षिका के तत्काल बहाली का आदेश जारी करने की मांग करता है.