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दिल्ली. अमेरिकी स्कूलों में गोलीबारी की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने और छात्रों की सुरक्षा के उपाय तलाशने को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से गठित आयोग ने शिक्षकों को बंदूक थमाने के साथ ही पूर्व सैनिकों को गार्ड के पद पर रखने की सिफारिश की है।
आयोग ने बंदूक खरीदने की न्यूनतम आयुसीमा में वृद्धि से भी इनकार कर दिया है। उसका तर्क है कि स्कूलों में गोलीबारी करने वाले ज्यादातर छात्रों को बंदूक उनके परिजनों या दोस्तों से हासिल होती है।
फरवरी 2018 में फ्लोरिडा के मेर्जरी स्टोनमैन डगलस हाईस्कूल में एक पूर्व छात्र के 17 छात्रों को गोलियों से भूनने के बाद ट्रंप ने शिक्षामंत्री बेस्टी डावोस के नेतृत्व में ‘स्कूल सेफ्टी पैनल’ का गठन किया था। दुनिया भर को झकझोर देने वाली इस घटना को लेकर अमेरिका में बंदूक रखने की संस्कृति पर नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे।
ट्रंप को सौंपी 180 पन्नों की रिपोर्ट में आयोग ने स्कूल में तैनात विभिन्न कर्मचारियों को बंदूक से लैस करने का सुझाव दिया। इससे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के स्कूलों को ज्यादा लाभ होगा, क्योंकि वहां पुलिस को पहुंचने में अधिक समय लग सकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा है कि शिक्षा विभाग गार्ड सहित अन्य पदों पर सेना और पुलिसबल से सेवानिवृत्त होने वाले अफसरों की तैनाती कर सकता है। ये अफसर न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने में मददगार साबित होंगे, बल्कि प्रभावी शिक्षक भी बनकर उभर सकते हैं।
आयोग ने गोलीबारी की घटनाओं के बाद श्वेत और लातिन अमेरिकी छात्रों से भेदभाव की शिकायतों से निपटने के लिए निलंबन व निष्कासन जैसे कठोर कदमों का विकल्प तलाशने के 2014 में दिए ओबामा प्रशासन के दिशा-निर्देशों को भी पलटने का सुझाव दिया है। उसका कहना है कि ऐसा करने से स्कूलों में अनुशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।