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रायपुर. छत्तीसगढ़ में सेन्टम ठेका कंपनी द्वारा नियमों और एमओयू की अनदेखी करने की शिकायतें तेज हो गई हैं. पिछले तीन महीनों से कंपनी ने व्यवसायिक शिक्षकों को सैलरी नहीं दी है, जिससे वे मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं और उधारी में कर्ज लेने को मजबूर हैं. शिक्षकों का कहना है कि घर का किराया, बच्चों की स्कूल फीस, दवाइयां और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना उनके लिए मुश्किल हो गया है. सैलरी न मिलने से परेशान शिक्षक राज्य के समग्र शिक्षा विभाग में शिकायत करने पहुंचे हैं और कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
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शिक्षकों ने अपनी समस्याएं बताते हुए कहा कि हर साल एक महीने की सैलरी दी जाती है और फिर चार-पांच महीने तक भुगतान लंबित रहता है. उन्होंने सेन्टम कंपनी से सितंबर, अक्टूबर और नवंबर के वेतन की मांग की है, जो अभी तक नहीं मिला है. इसके साथ ही, पूर्व में एम पॉवर प्रगति दिल्ली की कंपनी द्वारा तीन माह का बोनस और औद्योगिक भ्रमण का पैसा लेकर भाग जाने का भी आरोप लगाया गया, जिसके लिए उन्होंने कार्रवाई की अपील की है.
शिक्षकों का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण गेस्ट लेक्चरर और औद्योगिक भ्रमण आयोजित करना भी असंभव हो गया है. साथ ही, सेन्टम कंपनी द्वारा बिना पूर्व सूचना के उन्हें अपग्रेड कंपनी में मर्ज कर दिया गया है, जिससे उनके भविष्य को लेकर चिंता और बढ़ गई है. शिक्षकों ने सवाल उठाया कि इस कंपनी पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है और अधिकारियों को कटघरे में खड़ा किया है.
वहीं, सेन्टम ठेका कंपनी के स्टेट कोआर्डिनेटर इद्रिस अंसारी का कहना है कि शिक्षकों को कुछ ही दिनों में भुगतान कर दिया जाएगा और रिम्बर्समेंट की प्रक्रिया के बाद उनका बकाया चुकता किया जाएगा.
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