एन.के.भटेले। भिंड जिले के शासकीय माध्यमिक विद्यालय मध्यवर्ती में पदस्थ शिक्षक राजौरिया के पढ़ाने का अंदाज ही निराला है. गणित विषय के शिक्षक राजनारायण राजौरिया पिछले 42 वर्षों से शिक्षक हैं और गणित में रुचि रखने के चलते बच्चों के लिए इस विषय को सरल बनाने में जुटे हुए हैं. खास बात यह है कि उनके इन प्रयासों के लिए उन्हें राष्ट्रपति ने भी सम्मानित किया है. राजौरिया सर ने गणित को सरल रूप में सिखाने के लिए दो किताबें भी लिखी हैं. उनकी किताब भारतीय गणित विज्ञान काफी लोकप्रिय है.

इतना ही नहीं राजौरिया ने घर में निकलने वाले वेस्ट मटेरियल जैसे लकड़ी, गत्ता, प्लास्टिक, वगैरा से सरल रूप से गणित सीखने के लिए सैकड़ों डिजाइन और एक्सपेरिमेंटल टूल बनाए हैं. जिसकी मदद से खेल-खेल में बच्चे गणित समझ लेते हैं. शिक्षक राजनारायण राजौरिया के जुनून को इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपने बनाए एक्सपेरिंटल टूल्स को स्कूल में लेकर जाते हैं और उनसे बच्चों से लाइव प्रदर्शन करते हुए सिखाते हैं. उनकी क्लास के बच्चे भी कहते हैं कि उनके सर का इस तरह से सिखाने का तरीका उन्हें बेहद पसंद हैं. उनकी क्लास में हमेशा कुछ नया सीखने को मिलता है और खेलने के लिए भी.

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शिक्षक राज नारायण राजौरिया कहते हैं कि इस तरह से बच्चे बिना किताब पढ़े गणित सीखते हैं. बच्चे वे सवालों को पहले हल करते हैं. किताब बाद में देखते हैं. स्कूल के अलावा उन्होंने घर में भी गणित की प्रयोगशाला बना रखी है. स्कूल के बाद भी वो बच्चों के कठिन प्रश्नों को हल करते हैं. स्कूल की हेडमास्टर भी कहती हैं कि राजौरिया सर के बारे में काफ़ी सुना था. अब यहाँ उनके साथ काम कर अच्छा लगता है. जब बच्चे शिक्षकों से सीखकर आगे बढ़ते हैं. उनका रिज़ल्ट अच्छा आता है.

राजनारायण रजौरिया गणित के लिए उनकी इस लगन के लिए भारत सरकार और लेकर अलग अलग प्रदेश सरकारे सम्मानित कर चुकी हैं. साल 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति स्व प्रणव मुखर्जी ने उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा था. मध्यप्रदेश सरकार ने भी उन्हें रामानुजन पुरस्कार से लेकर राज्य शिक्षक सम्मान दिया है. साल 2014 में उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया है. उसके बाद से कई अवार्डस आज उनके घर की शोभा बढ़ा रहे हैं.

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गणित के प्रति उपलब्धि सिर्फ़ स्कूल या घर तक ही सीमित नहीं है ना सिर्फ़ मध्यप्रदेश सरकार बल्कि अलग अलग राज्यों की सरकारें और खुद भारत सरकार के डीएसटी ( डिपार्टमेंट ऑफ साइयन्स एंड टेक्नॉलजी)  द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में ट्रेनिंग कार्यशालाओं में उन्हें विशेष तौर पर उन्हें बुलाया जाता है. जहां वे अपने गणित सिखाने के तरीक़े और एक्सपेरिमेंट से दूसरों को भी ट्रेनिंग देते हैं. वे अब तक कई प्रतिष्ठित विश्व विद्यालयों में भी मैथ्स सेमिनार लेने जा चुके है.

राज नारायण कहते है कि अच्छा लगता है जब कोई आपके कार्य की सराहना करता है. वे इन कार्यक्रमों में जाते हैं, तो उन्हें कई नए लोगों से ख़ासकर गणितज्ञों से मिलने का अवसर मिलता है. वे उनसे सीखते हैं उन्हें सीखते हैं. कई लोग ने तो उनसे इन्स्पाइअर होकर इन टूल्स के साथ नए एक्सपेरिमेंटल टूल भी तैयार किए हैं. एक ओर जहां चंबल का भिण्ड जिला शिक्षा और पिछड़ेपन का शिकार है. जहां पर रोजगार और शिक्षा के सीमित साधन है. उसके बावजूद यह शिक्षक गणित को सरल रूप में सिखाने और समझाने के लिए नए-नए तरीके इजाद कर बच्चों का भविष्य सवार रहा है.

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