ओड़िशा. राज्य में सरकारी स्कूलों के प्राथमिक शिक्षकों की आनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है. हड़ताल को सात दिन पूरे हो चुके हैं. ओड़िशा में करीब 1.30 लाख शिक्षक सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं, जिस वजह से राज्य के 54,000 स्कूल बंद पड़े हैं, इससे 40 लाख छात्रों का भविष्य अधर में नजर आ रहा है. शिक्षक आंदोलन को लेकर भाजपा-कांग्रेस ने भी राज्य सरकार की आलोचना की है. उन्होंने राज्य सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाया है.
यहां शिक्षकों ने संविदा नियुक्ति प्रणाली को खत्म करने और पुरानी पेंशन को फिर से लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन किया है. वहीं, राज्य संचालित स्कूलों के लगभग 40 लाख छात्र अपने संस्थानों से बाहर रहे. ऑल उत्कल प्राइमरी टीचर्स फेडरेशन (एयूपीटीएफ) के बैनर तले छह से सात अलग-अलग संगठनों ने 8 सितंबर को हड़ताल शुरू की थी. प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच चर्चा के बाद भी कोई हल नहीं निकला है, नतीजन आंदोलन अभी जारी रखा गया है. महासंघ के सदस्यों की मांग में ग्रेड वेतन 2,200 रुपये से बढ़ाकर 4,200 रुपये करना भी शामिल है.
फेडरेशन के सदस्य सुनील कुमार प्रधान ने कहा है कि “प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के लिए केंद्रीय ग्रेड वेतन 4,200 रुपये है. लेकिन ओड़िशा में यह अभी भी 2,200 रुपये है. लगभग 22 राज्यों की सरकारें अपने शिक्षकों को समान ग्रेड वेतन प्रदान कर रही हैं. भले ही ओड़िशा सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के दिशानिर्देशों के अनुसार योग्यता को मैट्रिक और शिक्षण में प्रमाणपत्र (सीटी) से प्लस- II के साथ-साथ सीटी या बैचलर्स इन एजुकेशन (बीएड) में अपग्रेड कर दिया है, फिर भी ग्रेड वेतन में वृद्धि नहीं की गई है.”
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