सत्यपाल सिंह,रायपुर। डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू एवं उनकी टीम ने पूर्व गृहमंत्री व वर्तमान विधायक ननकीराम कंवर के बेटे प्रमोद कुमार कंवर के ट्यूबर कुलोसिस के कारण खराब हो चुके फेफड़े को सर्जरी के जरिये ठीक किया. मरीज को ”ब्रोन्कोप्लुरल फिस्टुला विद पायोथोरेक्स एंड फाइब्रोसिस ऑफ लंग्स“ नामक बीमारी थी. इस बीमारी में फेफड़ा पूरी तरह से खराब होकर मवाद से भर गया तथा सिकुड़ कर पत्थर की तरह कड़ा हो गया था.
फेफड़े में भर गया था मवाद
मरीज प्रमोद को 4 माह पहले टी. बी. के कारण सांस लेने में दिक्कत शुरू हो गया। बायां फेफड़ा खराब हो गया था एवं फेफड़े में छेद हो गया था जिसको मेडिकल भाषा में ”ब्रोन्कोप्लुरल फिस्टुला विद पायोथोरेक्स एंड फाइब्रोसिस ऑफ लंग्स“ ( Broncho pleural fistula with pyothorax and fibrosis of lung ) कहते हैं। इस बीमारी में टी. बी. के कारण फेफड़ा पूर्णतः खराब होकर मवाद से भर जाता है एवं साथ में सिकुड़ कर पत्थर जैसे कड़ा हो जाता है एवं फेफड़े में बड़ा सा छेद हो जाता है।
हाई रिस्क सर्जरी
सबसे पहले मरीज का इलाज 4 महीना पूर्व प्राइवेट अस्पताल में हुआ परंतु वहां से राहत नहीं मिलने पर मेकाहारा में टीबी एवं चेस्ट विभाग में आये। वहां पर डॉ. पंडा के सरंक्षण में इलाज चला एवं उन्होंने हार्ट चेस्ट और वैस्कुलर (सीटीवीएस) विभाग में सर्जरी के लिए विभागाध्यक्ष डॉ. के. के. साहू के पास रिफर किया। वहां डॉ. साहू ने सी. टी. स्केन के लिए रेडियोलॉजी विभाग में डॉ. एस. बी. एस. नेताम के पास रिफर किया। सी. टी. स्केन देखकर पता चला कि इसका इलाज सिर्फ ऑपरेशन से ही संभव है। चूंकि यह सर्जरी हाई रिस्क केटेगरी का था एवं बीमारी दुबारा हो सकती थी इसलिए हाई रिस्क कंसेट लिया गया। इस ऑपरेशन में बायें छाती को खोलकर फेफड़ों को ठीक करके अलग किया गया एवं फेफड़े में जो छेद था उसको विशेष स्टेपलर की मदद से बंद किया गया। आज ऑपरेशन को 12 दिन हो गये हैं। मरीज स्वस्थ्य है एवं डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है।
निजी अस्पतालों से बेहतर सुविधा
विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू कहते हैं कि यदि चिकित्सक और स्टॉफ अपने कार्य के प्रति समर्पित हों तो सरकारी अस्पतालों में भी निजी अस्पतालों की तुलना में कई गुना बेहतर इलाज होता है। यहां पर 24 घंटे दक्ष डॉक्टरों की टीम होती है जो कहीं अन्य जगह नहीं मिलती। सरकारी अस्पताल में कार्य करने वाले किसी भी सर्जन एवं फिजिशियन का अनुभव अन्य प्रायवेट अस्पतालों की तुलना में अधिक होता है क्योंकि यहां पर हर वह केस आता है जो बाकी अस्पतालों से रिजेक्ट होता है। एसीआई में सर्जरी की क्वालिटी विश्वस्तरीय है। यहां पर वो सभी केस होते हैं जो विश्व के उच्चस्तरीय अस्पताल में होते हैं। यहां पर बहुत से ऐसे केस हुए हैं जो कि छ.ग. में भी पहली बार हुआ है। यहां कि सुविधा किसी प्राइवेट अस्पताल से कई गुना अच्छी है। जनता के प्रतिनिधि भी अपने सरकारी तंत्र में विश्वास करते हैं तो यह और भी विश्वसनीय हो जाता है एवं सामान्य जनता जो सरकारी अस्पताल के नाम से कतराते हैं उसके लिए बहुत अच्छा उदाहरण है। सरकारी अस्पताल में वेटिंग ज्यादा होता है परंतु कार्य अच्छा होता है।
ऑपरेशन में शामिल टीम
कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जन विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू
एनेस्थेटिस्ट – डॉ. ओ. पी. सुंदरानी, डॉ. सौम्या (पी. जी. डॉक्टर)
नर्सिंग स्टॉफ – राजेन्द्र साहू, चोवाराम, मुनेस
एनेस्थेसिया टेक्निशियन – भूपेन्द्र चंद्रा