नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के तहरीक-ए-हुर्रियत को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी. उन्होंने लिखा कि आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन को तुरंत विफल कर दिया जाएगा. इसे भी पढ़ें : पॉवर सेंटर: ‘जांच के घेरे में पूर्व मंत्री’…’रंग-रंग के अफसर’…’हाल-ए-कलेक्टर’…’टेंडर का टेंशन’…’बंद कमरे की चर्चा’…’चार्जशीट’…- आशीष तिवारी

गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा कि ‘तहरीक-ए-हुर्रियत जम्मू-कश्मीर (TeH) को UAPA के तहत एक गैरकानूनी संघ घोषित किया गया है. यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए निषिद्ध गतिविधियों में शामिल है. जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए भारत विरोधी दुष्प्रचार फैलाते हुए और आतंकी गतिविधियां जारी रखते हुए पाया गया है.

इसे भी पढ़ें : Entry of UPI in Share Market: अब UPI से पेमेंट कर खरीद सकेंगे शेयर्स, जानिए कब से मिलेगी यह सुविधा?

इससे पहले जम्मू-कश्मीर में संचालित राजनीतिक दल मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर- मसरत आलम गुट (MLJK-MA) को केंद्र सरकार ने UAPA के तहत अवैध घोषित कर दिया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद इसकी जानकारी दी थी. आरोप है कि इस पार्टी के सदस्य जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल थे और वैसे आतंकी समूहों का समर्थन कर रहे थे, जो देश की अखंडता और सुरक्षा को खतरा पहुंचा रहे थे.

इसे भी पढ़ें : FPI share market investment: FPI ने 2023 में किया इतने लाख करोड़ का निवेश, डिटेल जान उड़ जाएंगे होश…

अमित शाह ने तब लिखा था कि मुस्लिम लीग ऑफ जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट)’/एमएलजेके-एमए को यूएपीए के तहत एक ‘अवैध संघ’ घोषित किया गया है. यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं.

इसे भी पढ़ें : Rules change from 1 January 2024: नए साल में बदल जाएंगे ये नियम, फटाफट चेक कर लीजिए डिटेल, वरना…

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आलम के खिलाफ 27 FIR दर्ज हैं. उनके खिलाफ 36 बार PSA के तहत मामला दर्ज किया गया है. मार्च 2015 में, मसरत आलम को रिहा कर दिया गया था, जिससे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के खिलाफ विरोध शुरू हो गया, जो उस समय भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल थी.