पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने ‘टीम तेज प्रताप’ के बैनर तले एक नया सियासी मोर्चा तैयार किया है। उन्होंने विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP), भोजपुरिया जन मोर्चा, प्रगतिशील जनता पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी और संयुक्त किसान विकास पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने राजद और कांग्रेस को भी इस गठबंधन में शामिल होने का न्योता देकर बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है।
नाराजगी का भी स्पष्ट संकेत
तेज प्रताप का यह कदम सिर्फ एक गठबंधन की घोषणा नहीं, बल्कि यह उनके भाई तेजस्वी यादव और राजद से नाराजगी का भी स्पष्ट संकेत माना जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा जिसको जो सोचना है, सोचे, जो उनके भीतर छुपे असंतोष को दर्शाता है।
उपेंद्र कुशवाहा की राह पर?
तेज प्रताप की यह रणनीति काफी हद तक उपेंद्र कुशवाहा की उस सियासी कोशिश की याद दिलाती है, जब उन्होंने RLSP के नेतृत्व में नया गठबंधन GDSF बनाया था। मुख्यमंत्री बनने का दावा किया था, लेकिन नतीजा करारी हार रहा। न तो कुशवाहा सीट जीत पाए, और न ही गठबंधन को प्रभावी वोट प्रतिशत मिल सका। 2023 में कुशवाहा ने जदयू से अलग होकर नया दल बनाया और 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट से एनडीए प्रत्याशी के रूप में लड़े, लेकिन पवन सिंह के चलते त्रिकोणीय मुकाबले में फिर से हार गए।
नए-नए छोटे दलों के साथ गठजोड़
तेज प्रताप की मौजूदा रणनीति भी कुछ वैसी ही दिखती है राजद से बाहर, नए-नए छोटे दलों के साथ गठजोड़ और मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं का निर्माण।
निषाद वोट बैंक पर नजर
तेज प्रताप यादव ने निषाद समुदाय को साधने के लिए प्रदीप निषाद की VVIP पार्टी के साथ गठबंधन किया है। प्रदीप निषाद पहले मुकेश सहनी के साथ थे लेकिन अब अपनी पार्टी बना चुके हैं। बिहार में निषाद समुदाय की आबादी 14% के करीब मानी जाती है और कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। हालांकि, मुकेश सहनी की VIP पार्टी पहले से ही इस समुदाय में मजबूत पकड़ रखती है। ऐसे में तेज प्रताप का यह प्रयास उन्हें चुनौती देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
राजद से दूरी, परिवार से तनाव
तेज प्रताप यादव की सबसे बड़ी चुनौती खुद उनके घर से आती दिख रही है—तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता और राजद की मजबूत सांगठनिक संरचना। यादव, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग अब भी राजद के साथ मजबूती से जुड़ा है। तेज प्रताप का गठबंधन छोटे दलों के साथ है, जिनका जनाधार बेहद सीमित है।
परिवार से जुड़ाव का संकेत भी देते हैं
महुआ सीट से निर्दलीय या नई पार्टी से चुनाव लड़ने की तैयारी और मौजूदा विधायक मुकेश रौशन के खिलाफ बगावत उनके अंदर की बेचैनी को दर्शाता है। हालांकि, वे सार्वजनिक रूप से तेजस्वी को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करते हुए परिवार से जुड़ाव का संकेत भी देते हैं।
राजनीतिक विश्लेषण: अनिश्चित राह
राजनीति के जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप यादव की राह उपेंद्र कुशवाहा जैसी हो सकती है अलग पार्टी, सीमित समर्थन और हार का सिलसिला। बिना मजबूत संगठन और स्पष्ट रणनीति के उनकी यह सियासी पारी जोखिम भरी दिख रही है। उनका सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना, अनुष्का यादव प्रकरण और अचानक गठबंधन बनाना उनकी छवि बचाने की एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन जब तक उनके पास ज़मीन पर जनाधार और संगठित ढांचा नहीं होगा, तब तक वे केवल शोर तक ही सीमित रह सकते हैं।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें