कुंदन कुमार/ पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने मंगलवार को राजधानी पटना स्थित अपने सरकारी आवास पर एक मिलन समारोह का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न वर्गों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनके साथ जुड़ने का ऐलान किया। इस मौके पर समाजसेवी जय प्रकाश यादव उर्फ गांधी यादव ने अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ तेज प्रताप यादव की पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया।

तेज प्रताप यादव ने इस दौरान कहा अभी लाइन में बहुत सारे लोग हैं जो हमारी टीम को ज्वाइन करना चाहते हैं। इस दौरान तेज प्रताप ने जहानाबाद घोषी विधानसभा से गांधी यादव को चुनाव लड़ने की बात कही। उनका यह बयान पार्टी के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है, जहां आने वाले दिनों में और भी नेता उनके साथ जुड़ सकते हैं।

वोट अधिकार यात्रा पर क्या बोले

वहीं, जब तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की आगामी वोट अधिकार यात्रा पर सवाल किया गया तो तेज प्रताप ने कहा वो राहुल और तेजस्वी जी जानें क्या करेंगे। यह बयान राजद के भीतर बढ़ते राजनीतिक तनाव को स्पष्ट करता है, जहां अब दो ध्रुव बनने लगे हैं एक तरफ तेजस्वी यादव और दूसरी तरफ तेज प्रताप यादव।

तेज प्रताप का बयान आया सामने

साथ ही, जब तेज प्रताप से “SIR” (सुप्रीम इलेक्टोरल रजिस्ट्री) के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा चुनाव आ गया है सामने, तो हमें तो लड़ना ही है। यह क्या मामला है, वो लोग जानें। तेज प्रताप का यह बयान चुनावी माहौल को लेकर उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है।

तेज प्रताप यादव ने चुनावों के दौरान होने वाली धोखाधड़ी और दो-दो वोटर आईडी बनाने की घटनाओं पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा चुनाव आता है तो यह सब होता ही रहता है।

राजद और तेज प्रताप यादव के बीच घमासान ?

तेज प्रताप यादव के राजनीतिक कदमों से राजद और उनके बीच मतभेदों ने एक नया मोड़ लिया है। राजद से निष्कासित होने के बाद, तेज प्रताप ने अपनी पार्टी का गठन करने की दिशा में पहला कदम उठाया है। इससे राजद के अंदरूनी राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। सूत्रों के अनुसार, तेज प्रताप यादव की पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं में विभिन्न जातिगत और राजनीतिक समीकरणों से जुड़े नेता शामिल हैं, जो आगामी चुनावों में एक नया मोर्चा बनाने की योजना बना रहे हैं।

नए सवाल खड़े कर दिए

इस घटना से यह साफ हो गया है कि बिहार की राजनीति में तेज प्रताप यादव एक मजबूत चुनौती बनने जा रहे हैं। उनकी पार्टी का विस्तार और एक नए राजनीतिक मोर्चे की संभावना ने राजद के भीतर नए सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह घटनाक्रम बिहार के आगामी चुनावों के लिए एक नई दिशा दिखा सकता है।

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