पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। विपक्षी दलों की एकता और रणनीति को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चुनाव को लेकर एक अहम संकेत दिया है। जब तेजस्वी यादव से पत्रकारों ने पूछा कि क्या विपक्षी दल आपसी सहमति से चुनाव बहिष्कार (election boycott) का निर्णय ले सकते हैं, तो उन्होंने कहा, “इस पर भी चर्चा की जा सकती है। हम देखेंगे कि जनता क्या चाहती है और सभी की राय क्या है।”

इसे अवसरवादिता करार दिया था

तेजस्वी यादव का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग पर विपक्षी दल लगातार निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठा रहे हैं। हाल ही में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर भी विपक्ष ने इसे “अवसरवादिता” करार दिया था। तेजस्वी यादव का इशारा इसी पृष्ठभूमि की ओर माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी दल अब चुनावी प्रक्रिया की वैधता और निष्पक्षता पर सवाल उठाने की रणनीति पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यदि विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव बहिष्कार का फैसला करते हैं, तो यह देश की संसदीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ हो सकता है।

जनता की राय सबसे अहम

राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि तेजस्वी यादव चुनाव बहिष्कार जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बिना व्यापक विचार-विमर्श के अंतिम निर्णय नहीं लेंगे। उन्होंने खुद अपने बयान में स्पष्ट किया कि जनता की राय सबसे अहम होगी और सभी सहयोगी दलों की राय लेकर ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

आगामी रणनीति क्या ?

बहरहाल, विपक्षी दलों की आगामी रणनीति क्या होगी, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। क्या चुनाव बहिष्कार जैसी कठोर रणनीति पर विपक्ष आगे बढ़ेगा या फिर सरकार और आयोग पर दबाव बनाने के लिए इसे एक चेतावनी के तौर पर इस्तेमाल करेगा इसका फैसला आने वाले दिनों में हो सकता है।