कुंदन कुमार/पटना। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बिना किसी उचित कारण के चुनाव आयोग ने राज्य के 65 लाख मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन मतदाताओं के नाम काटे गए हैं, उनके पास न तो कोई EPIC (इलेक्टोरल फोटो आईडी कार्ड) नंबर है और न ही उनका पता उपलब्ध है। तेजस्वी यादव ने इसे चुनाव आयोग की एक बड़ी चालाकी करार दिया है और कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां बिहार के लोकतांत्रिक अधिकारों को प्रभावित कर रही हैं।

लगाए ये आरोप

तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने बिना किसी स्पष्ट कारण के लाखों मतदाताओं को वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया है और आयोग इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग वोटर लिस्ट से बाहर हुए हैं, उनके बारे में न तो कोई जानकारी दी गई है कि वे लोग मृत हैं, अन्य स्थानों पर गए हैं या फिर अन्य कारणों से उनका नाम हटाया गया है। तेजस्वी ने बताया कि वह खुद चुनाव आयोग से मिलने गए थे और यह सवाल पूछा था कि किन बूथों पर, किस आधार पर और कितने मतदाताओं के नाम हटाए गए।

किया महत्वपूर्ण सवाल

इसके अलावा, तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा है कि क्या आयोग ने उन लोगों की जानकारी दी है जिनका नाम सूची से काटा गया है? क्या चुनाव आयोग ने यह साफ किया है कि कितने लोग मर चुके हैं और कितने लोग अन्य स्थानों पर चले गए हैं? चुनाव आयोग से इन सवालों का जवाब न मिलने पर तेजस्वी ने कहा कि बिहार के लोगों के साथ यह धोखा किया जा रहा है और चुनाव आयोग ने इसे लेकर कोई भी स्पष्टता नहीं दी है।

बिहार में कौन मतदान करेगा

तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर एक और गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनाव आयोग ने जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात के पक्ष में फैसले लेने की नीति अपनाई है। “मोदी आयोग” के नाम से उन्होंने चुनाव आयोग को आरोपित किया और कहा कि अब गुजराती अधिकारी तय करेंगे कि बिहार में कौन मतदान करेगा और कौन नहीं, जो पूरी तरह से असंवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

तेजस्वी ने पूछे 11 सवाल

आखिरकार, तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से ग्यारह सवाल पूछते हुए उन्हें जवाब देने का आग्रह किया। उनका कहना है कि यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर कर रही है और चुनाव आयोग को पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम करना चाहिए।