तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शुक्रवार को इंदिरा कैंटीन करने का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को लेकर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि अन्नपूर्णा कैंटीन का नाम बदलकर इंदिरा कैंटीन करने पर विरोध कर रहे लोग मूर्ख हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये लोग पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की महानता को तब तक नहीं समझ पाएंगे जब तक उनके कपड़े उतारकर उन्हें पीटा न जाए। रेड्डी के इस बयान पर जमकर बवाल मच रहा है। हैदराबाद बीजेपी के अध्यक्ष रामचंद्र राव ने सीएम रेड्डी के बयान का विरोध किया है।

रेवंत रेड्डी ने कहा “इंदिरा गांधी द्वारा शुरू किए गए कल्याण और विकास से गरीबों का जीवन रोशन हो रहा है और यही कारण है कि हम इंदिरा गांधी के बाद कल्याणकारी योजनाएं बना रहे हैं। हैदराबाद में गरीबों को 5 रुपये में भोजन और यहां तक ​​कि उन्हें नाश्ता उपलब्ध कराने के लिए हमने कैंटीन का नाम इंदिरा गांधी के नाम पर रखा है। इन मूर्ख लोगों ने इंदिरा गांधी के नाम पर कैंटीन का नाम रखने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। जब तक उन्हें निर्वस्त्र करके पीटा नहीं जाएगा, तब तक वे इंदिरा गांधी की महानता को नहीं समझ पाएंगे।”

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केटीआर ने साधा निशाना

रेवंत रेड्डी के इस बयान से विरोधियों को एक बार फिर मुख्य मंत्री की नीतियों और काम पर ही नहीं बल्कि उनकी भाषा पर भी सवाल उठाने का एक और मौका मिल गया। केटीआर ने इस पर आपत्ति जताते हुए राहुल गांधी पर भी तंज कसा कि वो संविधान और नीतियों की बात करते हैं, जबकि उनके मुख्य मंत्री को भाषा की तमीज नहीं है।

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अन्नपूर्णा कैंटीन का नाम बदला

के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में बीआरएस शासन के दौरान शुरू की गई अन्नपूर्णा कैंटीन शहर में 150 स्थानों पर 5 रुपये में भोजन उपलब्ध कराती है। यहां भारी संख्या में लोग खाना खाने आते हैं। ये कैंटीन श्रमिकों, दिहाड़ी मजदूरों और शहरी गरीबों का पेट भरने में मदद कर रही हैं। हाल ही में, जीएचएमसी की स्थायी समिति ने इसका नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर रखने का फैसला किया। समिति ने अगले महीने से भोजन केंद्रों पर 5 रुपये में नाश्ता योजना शुरू करने का भी फैसला किया। तेलंगाना भाजपा ने भी इस फैसले के लिए कांग्रेस की आलोचना की है। उनके मुताबिक अपने दिल्ली में बैठे आकाओं को खुश करने के रेवंत ने ये फैसला लिया है। अन्नपूर्ण मां का नाम है फिर उसे बदलने का विचार ही गलत है।

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भाषा को लेकर घिरे रेवंत रेड्डी

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी फैसले और राजनीतिक आरोप तो कई होते हैं। हर पार्टी सत्ता में आने पर अपने नेताओं का महिमामंडन करती है, उनके नाम पर योजनाएं शुरू करती है और अन्य तरह के काम किए जाते हैं। योजनाओं या जगहों के नाम बदलने की परंपरा भी काफी पुरानी है, लेकिन राजनेताओं को अपनी भाषा साफ रखनी चाहिए। खासकर मुख्यमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जाती है।

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