कभी सुना है भटके हुए देवताओं के मंदिर भी हो सकते हैं? भटके हुए लोगों को हम अक्सर देवालय और भगवान की शरण में ले जाने की बात करते हैं या परामर्श देते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर देवता ही भटक जाये तो क्या होगा? भटके हुए देवता का मंदिर भी है और वह भी भारत में ही. यहां ना तो कोई मूर्ति है ना पूजा की जाती है. ना ही कोई पुजारी है. अब आपके मन में ये उत्सुकता हो रही होगी कि ये मंदिर आखिर है कहाँ तो चलिए आपकी जिज्ञासा को शांत कर देते हैं हम. यह मंदिर है देवों की नगरी हरिद्वार में. युगतीर्थ शांतिकुंज में माँ गायत्री का प्रसिद्ध मंदिर है और इसी मंदिर प्रांगण में स्थित है भटके हुए देवता का मंदिर. गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने शांतिकुंज परिसर में यह मंदिर बनवाया है. यहां आने वाले साधक इस मंदिर में ध्यान करते हैं.
इस मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति
भटका हुआ देवता का बोर्ड देखते ही सबकी नजरें इस भटके हुए देवता को खोजने के लिए व्याकुल हो उठती हैं. पर्यटक यहाँ आकर भटका हुआ देवता की तस्वीर या मूर्ति को खोजने की कोशिश करते हैं, लेकिन घंटों खोजने के बाद भी लोगों को भटके हुए देव के दर्शन नहीं होते क्योंकि भटका हुआ देवता कोई और ही है. लोगों के दिमाग में यह बात रह रह कर आती है कि आखिर कहाँ हैं ये देव? क्योंकि यहाँ किसी भगवान की मूर्ति या तस्वीर है ही नहीं, अगर है तो बस पांच दर्पण. Read More – Ranbir Kapoor ने बेटी Raha Kapoor के नाम पर बनाई Will, इंटरव्यू में किया हैरान करने वाला खुलासा …
दर्पणों में ढूंढते हैं भगवान
यही दर्पण दरअसल इस भटके हुए देवता की पहचान कराते हैं यहां इन दर्पणों में आये लोग भगवान् को ढूंढते हैं. यहां सिर्फ और सिर्फ 5 बड़े बड़े आइने (कांच) लगे हैं और उनमें आत्मबोध, तत्वबोध कराने वाले वेद-उपनिषदों के मंत्र लिखे हैं. ये भटका हुआ देवता कोई और नहीं बल्कि हम इंसान ही हैं. इन दर्पणों के ऊपर लिखा हुआ है. Read More – देश के आकर्षक और लोकप्रिय शहरों में से एक है अमृतसर, यहां घूमने लायक है बहुत सी जगह …
यहाँ 9 दिन के सत्रों व एक मासिक प्रशिक्षण शिविरों में आने वाले प्रत्येक साधक इस बीच आचार्य जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘मै कौन हूँ?’ में निर्दिष्ट साधना प्रणाली का अभ्यास करता है. भटका हुआ देवता के मन्दिर में संक्षेप में उसी साधना विधान का निर्देश है.
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