लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद। बालोद जिले में एक ऐसा मंदिर है, जहां मुराद पूरी होने पर भक्त बाबा को घोड़े और हाथी चढ़ाते हैं. ऐसा केवल साल में केवल एक बार नवरात्र दशहरा समाप्त होने के बाद पड़ने वाले मंगलवार को विशेष पूजा-अर्चना के बाद किया जाता है. अबकी बार भक्तों ने बाबा को 450 से अधिक घोड़े चढ़ाए.
बालोद जिले के डेंगरापार गांव में स्थित 300 साल पुराने मंदिर में बाबा हरदेवलाल की पूजा की जाती है, हर साल नवरात्र दशहरा समाप्त होने के बाद पड़ने वाले मंगलवार को विशेष पूजा-अर्चना के बाद हरदेव बाबा को घोड़े और हाथी चढ़ाया जाता है. इस अवसर पर मेले का भी आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि सन् 1876 में घिना डेम बना था, मंदिर भी इसी समय अस्तित्व में आया. डेम से लगे हुए मंदिर में आसपास के लोग तीन पीढ़ियों से पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. मंगलवार को भी मंदिर में मेला लगा, और 450 से अधिक घोड़े ओर हाथी मंदिर में चढ़ाए गए.
मंदिर में विराजमान हरदेव लाल बाबा के बारे में ग्रामीण बताते हैं कि 300 साल पहले एक व्यक्ति घोड़े पर सवार होकर आया था. वह विक्षिप्त और बीमार लोगों का इलाज करता था. जिन लोगों के बच्चे नहीं थे, वह उनके पास आते थे, और कुछ समय बाद वे गायब हो गए थे. इसके बाद से उस जगह बाबा हरदेव लाल की पूजा-अर्चना की जाने लगी, जो आज तक लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है.
श्रद्धालु अपनी मुराद पूरी होने के बाद मंदिर में घोड़े-हाथी चढ़ाने के लिए आते हैं. इस चढ़ाने के पीछे लोगों की सोच है कि उनके दिए हुए घोड़े और हाथी की बाबा सवारी कर सके. इस बार श्रद्धालुओं के साथ गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने भी बाबा हरदेव को घोड़ा चढ़ाया.
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