अरविन्द मिश्रा, बलौदाबाजार. पंचायतों में सरपंच सचिव की मनमानी और उनके द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा कलेक्टर को शिकायत करने के बावजूद सही जांच न कर पाना अधिकारी और सरपंच सचिव की सांठगांठ को दर्शाता है. इसे देखते हुए दस पंचो ने सामूहिक इस्तीफा सौंपकर जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है.
बलौदाबाजार जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत खैंदा के 10 पंचो ने ग्राम सरपंच सचिव की मनमानी, शिकायती जांच में देरी और प्रशासनिक लापरवाही के चलते कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है. जिससे जिले के इस गांव में सुचारू रूप से पंचायती राज के क्रियान्वयन पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है.
ग्राम पंचायत खैंदा ड के पंचो ने बताया कि ग्राम पंचायत में बैठक नहीं होती. विकास कार्य ठप पड़ गया है. सरपंच सचिव मनमानी कर रहे हैं. भ्रष्टाचार का बोलबाला है. जनपद पंचायत, जिला पंचायत और कलेक्टर को शिकायत आवेदन कर चुके हैं. लेकिन कार्रवाई शुन्य है. वहीं जब अधिकारी आतें है तो सचिव गायब हो जाते हैं. जिससे व्यथित होकर कलेक्टर को इस्तीफा सौंप दिये है. इस घटना ने केंद्र और राज्य शासन की सुचारू रूप से क्रियान्वयन हो रहे पंचायती राज व्यवस्था पर सवालिया निशान उठा दिया है. वहीं जिले की निष्पक्ष प्रशासनिक व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है. वहीं ये भी पता चला है कि यहां पदस्थ सचिव वही है जिसके द्वारा ग्राम अहिल्दा में कार्य नहीं करवाये जाने, 6 महीने से पंचायत में ताला लटके रहने से सरपंच ने आत्मदाह की चेतावनी दी थी. तब जाकर प्रशासन वहां पहुंचा और ताला खुलवाया था.