2020 Delhi Riots : 2020 के दिल्ली दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि 2020 के दिल्ली दंगे अचानक नहीं भड़के थे, बल्कि ये पूर्वनियोजित थे। इसकी कई महीनों से प्लानिंग चल रही थी। पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने दावा किया कि CAA के विरोध के नाम पर दंगों के लिए टेरर फंडिंग की गई और प्रदर्शन को जानबूझकर हिंसक मोड़ दिया गया।
ASG राजू के मुताबिक, ताहिर हुसैन, शिफा-उर-रहमान, मीरन हैदर, इशरत जहां और खालिद सैफी ने दंगों के लिए बड़ी रकम जुटाई। दंगे से पहले कई बार मीटिंग की गईं। इनमें हिंसा बढ़ाने, चक्का जाम करने और जरूरी सेवाएं रोकने की योजना बनाई गई थी। पुलिस ने यह भी दावा किया कि बैठकों में पूर्वोत्तर राज्यों को भारत से अलग करने की भी साजिश रची गई थी। सुनवाई के दौरान जज को शरजील इमाम का वीडियो भी दिखाया गया जिसमें वह भीड़ को सम्बोधित करते हुए भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से काटने की बात कह रहा था।
सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच कर रही थी। कोर्ट में एक और वीडियो भी दिखाया गया जिसमें भीड़ हाथों में डंडे लेकर चलते दिखाई दे रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अब अगली सुनवाई सोमवार दोपहर बाद के लिए तय की है।
दिल्ली पुलिस की 3 बड़ी बातें-
- चक्का जाम का मकसद सिर्फ सड़क रोकना नहीं था, बल्कि जरूरी सेवाएं रोककर दिल्ली को ठप करना था। 13 और 15 दिसंबर 2019 की घटनाओं में 45 पुलिसकर्मी, 100 से ज्यादा नागरिक घायल हुए और कई बसें और सरकारी संपत्तियां जलाई गईं।
- ताहिर हुसैन, शिफा-उर-रहमान, इशरत जहां, खालिद सैफी और मीरन हैदर ने दंगों के लिए कुल करोड़ों की फंडिंग की। ताहिर हुसैन ने 1.30 करोड़ रुपए, शिफा-उर-रहमान ने 8.90 लाख रुपए और मीरन हैदर ने 2.86 लाख रुपए खर्च किए, साथ ही 4.82 लाख जुटाए।
- कई प्रदर्शनकारी शुरू से ही शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन पुलिस के अनुसार मुख्य समूह के लोग हिंसा पर अड़े हुए थे। यह बात व्हाट्सऐप चैट्स में भी साफ दिखाई देती है, जहां कुछ लोग शांति की बात कर रहे थे, लेकिन नेतृत्व करने वाले लोग लगातार हिंसक विरोध की मांग करते रहे।
कोर्ट बोला- दिल्ली पुलिस दस्तावेज और रिकॉर्ड पेश करे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब मामले की सुनवाई सोमवार दोपहर बाद होगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में सबसे पहले प्रोटेक्टेड गवाहों की गवाही सुनी जाएगी। जजों ने कहा- पुलिस जिन दस्तावेजों और चैट्स का हवाला दे रही है, उन्हें पहले रिकॉर्ड पर रखा जाए, ताकि कोर्ट उन्हें देखकर आगे सुनवाई आगे बढ़ा सके। बेंच ने कहा कि जमानत पर कोई फैसला लेने से पहले सभी आरोपियों की भूमिका, पुलिस की दलीलें और पेश किए गए दस्तावेजों को विस्तार से देखा जाएगा। कोर्ट ने 20,000 पेज की चार्जशीट और नए दाखिल दस्तावेजों पर भी स्पष्टता मांगी है।
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