जम्मू कश्मीर में आतंकियों के आका अब नई रणनीति पर काम कर हैं। आतंकियों की नई भर्ती में आतंकी संगठन सुरक्षाबलों से बचने के लिए ऐसे युवाओं को टारगेट कर रहे हैं, जिनका को आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। जम्मू कश्मीर में जो युवा न तो कभी अलगाववाद के विचार से सहमत थे और न हिंसा से, उन्हें ये आतंकी संगठन टारगेट कर रहे हैं और आतंकी बना रहे हैं।
दिल्ली ब्लास्ट में दिखी नई रणनीति
अधिकारियों का कहना है कि यह नयी रणनीति दो दशक पुरानी रणनीति से बिल्कुल अलग है, जिसमें आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोगों को तरजीह दी जाती थी। एक अधिकारी ने कहा, “डॉ. अदील राठेर, उसके भाई डॉ. मुजफ्फर राठेर और डॉ. मुजम्मिल गनई जैसे आरोपियों का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड या राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता नहीं है।” अधिकारी ने कहा कि इन कट्टरपंथी युवाओं के परिवार के सदस्यों का भी किसी अलगाववादी या आतंकवादी संगठन से कोई संबंध नहीं रहा है। अधिकारी ने कहा, “यहां तक कि 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर विस्फोट करने वाली कार चलाने वाले डॉ. उमर नबी का भी कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं था। उसका परिवार भी इस मामले में बेदाग रहा है।”
पाकिस्तान में बैठे आका का ‘दिमाग’
सूत्रों के अनुसार, यह जम्मू-कश्मीर या सीमा पार पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादियों के आकाओं की एक सोची-समझी चाल प्रतीत होती है ताकि उच्च शिक्षित युवाओं और बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को लुभाया जा सके। अधिकारी ने कहा, “किसी के लिए यह सोचना भी अकल्पनीय होगा कि आतंकी गतिविधियों में चिकित्सकों का एक समूह भी शामिल होगा… इसलिए, आरोपियों को शुरू से ही छुपने का एक मौका मिल गया।”
कैसे हुआ इस आतंकी मॉड्यूल का खुलासा
अक्टूबर के मध्य में नौगाम के बनपोरा में दीवारों पर पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकी देने के पोस्टर दिखाई देने के बाद इस मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ, जिसके बाद जांच शुरू हुई। श्रीनगर पुलिस ने 19 अक्टूबर को मामला दर्ज किया और एक टीम गठित की। सीसीटीवी फुटेज के सावधानीपूर्वक, ‘फ्रेम-दर-फ्रेम’ विश्लेषण के बाद जांचकर्ताओं ने पहले तीन संदिग्धों आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद की पहचान की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इन तीनों के खिलाफ पथराव के मामले दर्ज थे और इन्हें पोस्टर चिपकाते हुए देखा गया था।इनसे पूछताछ के बाद शोपियां के निवासी मौलवी इरफान अहमद को गिरफ्तार किया गया, जो चिकित्सा कर्मी से इमाम बना था।
इरफान ने पोस्टर मुहैया कराए थे और माना जाता है कि उसी ने चिकित्सा समुदाय तक अपनी आसान पहुंच का इस्तेमाल करके चिकित्सकों को कट्टरपंथी बनाया। यह सुराग आखिरकार श्रीनगर पुलिस को फरीदाबाद में स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय ले गया, जहां उसने डॉ. गनई और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया। यहीं से अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर समेत बड़ी मात्रा में रसायन बरामद किए गए। जांचकर्ताओं का मानना है कि पूरा मॉड्यूल तीन चिकित्सक गनई, डॉ. उमर नबी और मुजफ्फर राठेर चला रहे थे।
आतंक के आकाओं ने बदली रणनीति
इन संदिग्धों का प्रोफाइल 20 साल पहले के भर्ती हुए लोगों के प्रोफाइल से बिल्कुल अलग है। अधिकारी ने कहा, “2000 के दशक की शुरुआत से 2020 तक, आतंकवादियों के आकाओं का ध्यान उन युवाओं पर था जिनका पहले से ही आतंकवाद से जुड़ाव था। 20 साल की इस अवधि में मारे गए कई आतंकवादियों ने किसी न किसी समय हथियार छोड़ दिए थे, ताकि दूसरे युवा आतंकवाद की दुनिया में कदम रख सकें।” अधिकारी के अनुसार, विभिन्न जेलों में नजरबंदी के दौरान बड़ी संख्या में युवाओं को कट्टरपंथी बनाया गया। अधिकारी ने कहा, “हालांकि, 2019 के बाद के दौर में इन लोगों पर बढ़ती निगरानी के कारण आतंकवादी समूहों के आका इस तरह के लोगों को अपने समूह में शामिल करने को लेकर सावधान हैं।”
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक

