रायपुर। भाजपा की रमन सरकार कार्यकाल में पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक, ठेकेदार एवं अन्य अधिकारियों के भ्रष्टाचार की शिकायत को विभागीय जांच समिति ने सही पाया. इसमें नियम विरुद्ध चहेते फ़र्मों को सांठगांठ कर फोटो छपाई का ठेका दिया गया. निविदा शर्तों का उल्लंघन किया गया. इस तरह से सरकार को करोड़ों का चुना लगाने का दोषी पाया गया है.

विनोद तिवारी ने बताया कि भाजपा शासनकाल में पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी, वरिष्ठ प्रबंधक (वित्त) दीप्ति अग्रवाल, वरिष्ठ प्रबंधक (वितरण) सच्चिदानंद शास्त्री, वरिष्ठ प्रबंधन (प्रशासन) जे शंकर तथा (उप मुद्रण) संजय पिल्ले ने मिलकर अपने चहेते प्रिंटर्स शारदा अफ़सेट (राहुल उत्पल) एवं टेक्नो प्रिंटर्स (विकास कपूर) को प्रिंटिंग व मुद्रण का ठेका दिलाने एक राय होकर षड्यंत्र पूर्वक कुतरचित दस्तावेज तैयार किया. अयोग्य फ़र्मों को ठेका देकर 4 करोड़ 80 लाख रुपए का शासन को चुना लगाया. इसकी सबूत के साथ विनोद तिवारी ने शिकायत की थी. इसके बाद गठित जांच समिति ने भी भ्रष्टाचार की पुष्टि की तथा 5 अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने का दोषी पाया गया. एफआईआर के बाद की जाने वाली जांच में अन्य दोषियों के नाम भी आएंगे.

प्रारंभिक जांच 2 सितंबर को प्रस्तुत किया गया है. जिसमें कहा गया है कि जांच में यह पाया गया कि विविध मुद्रण निविदा क्रमांक पी-4/ 2018-19 के प्रारूप में फ़ोटोग्राफ़ी कार्य के लिए कोई स्पेसिफ़िकेशन, शर्तें, कार्य अनुभव, फ़ोटोग्राफ़ी लैब व सेटअप संबंधी उल्लेख नहीं था. मुद्रकों से फोटोग्राफी कार्य के दर प्रस्ताव आमंत्रित किये गए, जो उक्त कार्य की मशीनरी, सेटअप कार्य अनुभव ना रखने से पात्रता नहीं रखते थे.

जांच प्रतिवेदन के अनुसार, निविदा समिति द्वारा कतिपय मुद्रकों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए भंडार क्रय नियमों के विपरीत अपात्र मुद्रकों से प्राप्त दरों पर क्रय की अनुशंसा की गई, तात्कालिक समिति के सदस्यों के नाम- महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी, वरिष्ठ प्रबंधक (वित्त) दीप्ति अग्रवाल, वरिष्ठ प्रबंधक (वितरण) सच्चिदानंद शास्त्री, वरिष्ठ प्रबंधन (प्रशासन) जे शंकर तथा (उप मुद्रण) संजय पिल्ले, समिति के सभी सदस्य छत्तीसगढ़ शासन भंडार क्रय नियम 2002 ( यथा संशोधित 2004 ) में विनिर्दिष्ट प्रावधान एवं विहित निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करने, ग़लत निविदा के माध्यम से अपात्र प्रिंटरों को फ़ोटोग्राफ़ी कार्य के लिए राशि 2,32,57,134.00 का अनियमित भुगतान करने और शासन को आर्थिक हानि पहुंचाने के आपराधिक कृत्य में संयुक्त रूप से सामान अनुपात में उत्तरदायी पाए गए है. प्रकरण में कर्त्तव्यों के प्रति लापरवाही, भ्रष्ट आचरण, दूषित मंशा पाए जाने से निविदा समिति के सभी सदस्य छत्तीसगढ़ सिविल आचरण नियम 1965 के नियम-3 के अंतर्गत “कदाचार” के दोषी है. जांच समिति ने प्रतिवेदन की एक प्रति शिकायतकर्ता विनोद तिवारी को भी प्रेषित की है.

विनोद तिवारी ने जांच समिति के प्रतिवेदन के आधार पर भ्रष्ट अधिकारियों एवं ठेकेदारों के विरुद्ध FIR दर्ज कराने रायपुर एसपी को जांच रिपोर्ट एवं साक्ष्य सौंपेंगे तथा अधिकारियों की सेवा समाप्ति करने मुख्य सचिव को पत्र सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि रमन सिंह के भाजपा सरकार के कार्यकाल में पाठ्य पुस्तक निगम में इन्होंने खूब भ्रष्टाचार किया है. सप्रमाण शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं की गई, उल्टा उन्हें रमन सरकार आश्रय देती रही है. भ्रष्टाचार के ऐसे क़रीब 10 अन्य प्रकरण है, जिसकी शिकायत पापुनि में की गई है, जिनकी जांच चल रही है.