अनूप दुबे, कटनी (ढीमरखेड़ा)। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवन पुत्र हनुमान का जन्म हुआ था। पूरे देश में धूमधाम के साथ आज हनुमान जयंती मनाई जा रही है। इसी बीच मध्य प्रदेश के गांव-गांव विराजित हनुमान मंदिरों में भक्त धूम धाम से पूजन पाठ कर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करवा रहे हैं।

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एक मुखी और पंचमुखी हनुमान मंदिरों के अपनी अलग पहचान है। लेकिन कटनी और जबलपुर जिले की सीमा में विराजित 11 मुखी हनुमान मंदिर को लेकर भक्तों की अलग ही धारणा है। भक्तों का मानना है कि यह भारत का ही नहीं विश्व का पहला स्पष्ट स्वरूपों का मंदिर है। पूर्व सरपंच शिवराम राजभर ने बताया कि संत श्री दामोदरदास महाराज जी की प्रेरणा और इटौली के विद्वान नंद कुमार शास्त्री जी के द्वारा 11 मुखी हनुमान जी की प्राणप्रतिष्ठा साल 2006 में करवाई गई थी।

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भगवान के 11 स्वरूप हैं, 22 भुजाएं हैं, एकादश हनुमान कवच में भगवान के 11 स्वरूपों का वर्णन हुआ है। उन्ही स्वरूपों के अनुसार भगवान की मूर्ति कटनी जिले के बिलहरी गांव के कलाकारों से बनवाई गई है। भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान का नाम बजरांग देव रखा गया है। दूर-दूर से भक्त 11 मुखी हनुमान मंदिर के दर्शन करने आते हैं।

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वहीं इसके पहले भारत में जो भी 11 मुखी हनुमान मंदिर थे उनके मुख्य स्पष्ट नहीं थे पत्थर की शिला में कल्पना की गई थी। लेकिन चंडीघाट में प्रतिमा विराजमान होने के बाद इस स्थान की प्रेरणा से दूसरे मंदिरों का निर्माण कराया गया। अगर भारत में स्पष्ट स्वरूपों का यह पहला मंदिर है तो इस मंदिर को विश्व का पहला मंदिर मानने की बात को नकारा नहीं जा सकता। दो जिलों की सीमाओं में बने मंदिर का विकास नहीं होने के कारण भक्तों में शासन प्रशासन के प्रति घोर निराशा है। हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर दूर-दूर से आए भक्तों ने भगवान की पूजा अर्चना कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

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