दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजनिया की पीठ को बताया कि समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश की गई थी. साथ ही कहा कि यह सिर्फ CAA के खिलाफ विरोध नहीं था बल्कि राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला था. सबसे पहले इस मिथक को तोड़ना होगा, क्योंकि यह कोई अचानक भड़का दंगा नहीं था. यह पूरी तरह से योजनाबद्ध और सुनियोजित दंगा था. सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि यह नैरेटिव बनाया जा रहा है कि लोगों के साथ गंभीर अन्याय हो रहा है, जबकि कानूनी प्रक्रिया में देरी के लिए स्वयं आरोपी ही जिम्मेदार है.
बता दें कि, दिल्ली दंगा मामले में आरोपी शरजील इमाम समेत छह आरोपियों की ओर से दाखिल जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट में कई सबूत पेश किए. दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यानी एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट में वीडियो क्लिप दिखाई और कहा कि यह सब तब प्लान किया गया था, जब नागरिकता संशोधन बिल (सीएए) पास होना था. गौरतलब है कि, दिल्ली पुलिस ने सोमवार (18 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि उमर खालिद दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले में सह-आरोपियों को मिली जमानत के आधार पर दावा नहीं कर सकते.
उन्होंने कोर्ट में यह दलील भी दी कि आरोपियों ने एक अवसर देखा, कि यह मुसलमानों का समर्थन हासिल करने का एक मौका है. यह दिल्ली में किसी साधारण विरोध प्रदर्शन का उदाहरण नहीं था. एएसजी ने कहा कि आरोपी दिल्ली को आपूर्ति रोकना चाहते थे. वे दिल्ली और भारत में पूर्वोत्तर के असम का आर्थिक रूप से गला घोंटना चाहते थे. उन्होंने कहा कि इस विरोध का उद्देश्य लोगों को आवश्यक वस्तुओं से वंचित करना था.
एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट में कहा कि वह चिकन नेक का उल्लेख करते हैं, जो 16 किलोमीटर लंबे भूमि का हिस्सा है जो असम को भारत से जोड़ता है. इसे चिकन नेक कहा जाता है. उन्होंने कहा कि आरोपी कश्मीर के बारे में बात करते हैं, वह मुसलमानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. एएसजी ने कहा कि फिर वह तीन तलाक के बारे में कहता है और यहां तक कि अदालत को बदनाम भी करता है.
उन्होंने कोर्ट में बताया कि वह कहते हैं- कोर्ट को नानी याद करा देंगे. वह बाबरी मस्जिद के बारे में बात करते हैं. एसवी राजू ने कहा कि शासन परिवर्तन के उद्देश्य के साथ इसकी (दिल्ली दंगों की) योजना बनाई गई थी और इसीलिए इसका समय डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के समय का ही रखा गया. उन्होंने कोर्ट में कहा कि यह एक संयोग नहीं था, बल्कि पूरी सोची-समझी साजिश थी.
एसवी राजू ने कहा कि इस साजिश का मुख्य सदस्य क्या कहा है. वह यह नहीं कहता कि यह विरोध है. वह यह कहता है कि यह हिंसक विरोध है, जो असम को भारत से अलग करता है. इस पर कोर्ट ने एएसजी से यह पूछा कि आप यह कह रहे हैं कि वह उकसाता है?
‘गलत व्याख्या कर के दी गई पहले जमानत’
दिल्ली पुलिस ने 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि उमर खालिद दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले में सह-आरोपियों देवांगना कलीता, नताशा नरवाल और आसिफ इक़बाल तनहा के साथ समानता (परिटी) का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उन्हें दी गई जमानत UAPA की गलत व्याख्या पर आधारित थी. पुलिस की ओर से पेश होते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के 2021 के जमानत आदेश में गलत तरीके से यह माना गया कि UAPA केवल ‘भारत की रक्षा’ से जुड़े अपराधों पर लागू होता है और इसलिए धारा 43D (5) में जमानत पर लगी वैधानिक रोक लागू नहीं होती.
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