विप्लव गुप्ता,पेंड्रा. छत्तीसगढ़ में लगातार महिलाओं के खिलाफ लगातार यौन शोषण के मामले सामने आ रहे हैं. इस बार ताजा मामला है मरवाही के ग्राम  तेन्दुमूड़ा का,जहां एक पंचायत का बेतुका फरमान नाबालिग पीड़िता पर भारी पड़ गया और जब पुलिस ने भी मामले को लेकर आनाकानी की तो वो और बेवस हो गई है.

दरअसल 16 साल की नाबालिग ने आरोप लगाया है कि गांव के एक युवक योगेंद्र ने बहला-फुसलाकर  पिछले 6 माह से लगातार उसका दैहिक शोषण करता रहा और जब वो गर्भवती हो गई तो योगेंद्र ने यह कहकर कि बच्चा मेरा है या नहीं,उसे अपने साथ रखने से इंकार कर दिया है.

इसके बाद ये मामला गांव वालों तक पहुंचा. जिस पर ग्राम पंचायत तेन्दुमूड़ा के सरपंच और पंचों ने जो फैसला लिया वो और चौकाने वाला है. पंचायत में पहले तो यह फैसला लिया गया कि मामला गांव का है इसलिए इसे यहीं रफा-दफा कर दो. फिर दोनों के बीच राजी नामा बनवाया गया,जिसमें लिखा गया कि आरोपी युवती को अपने साथ रखेगा. लेकिन  इस राजी नामे को कुछ ही दिन ही बीते थे कि आरोपी एक बार फिर अपनी बात से मुकर गया और पंचायत के  र्निणय को ना मानते हुए  उसे अपने साथ रखने से मना कर दिया.

जिसके बाद बुरी तरह से आहात युवती ने यह फैसला लिया कि वो इसकी शिकायत अब पुलिस से करेगी. और उसने अपने फैसले पर अमल करते हुए सोमवार की सुबह अपने परिवार वालों के साथ मरवाही थाने में पहुंची. लेकिन यहां भी उसे थाने की लापरवाही का शिकार होना पड़ा और रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए सुबह से लेकर शाम तक इंतजार करना पड़ा.इसी बीच लल्लूराम डॉट कॉम की इन पर नजर पड़ी तब जाकर इस पूरे मामला का खुलासा हुआ और हस्ताक्षेप के बाद ही मामले में शाम को रिपोर्ट दर्ज की गई.

ब्लड टेस्ट से लूंगा प्रमाण..

इधर आरोपी ने बार-बार यही कह रहा है कि जो बच्चा गर्भ में है वो मेरा है कि नहीं मैं ये बल्ड टेस्ट कराके पता लगाउंगा इसके बाद ही मैं ये फैसला करूंगा कि युवती को अपने साथ रखना है कि नहीं. बहरहाल पुलिस ने पुलिस के खिलाफ धारा 376 पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है. साथ ही पंचायत के  प्रतिनिधियों के विरुद्ध मामले को दबाने एवं रफा-दफा करने वालों पर जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कही है.

आज देश में अपराध करने वालों के खिलाफ कानून बनाए गए हैं. लेकिन जमीनी हकीकत की यदि बात करें तो आज भी देश के कई गांवों में पंचायत का फैसला ही सर्वोपरी होता है. लेकिन ये फैसला यदि किसी के अपराध को छुपाने या कानून को ही अपने हाथ में लेने का हो तो सवाल खड़े होते ही हैं. साथ ही ये भी प्रश्न उठता है कि गांव के प्रतिनिधियों ने पीड़िता को पुलिस के पास पहले क्यों नहीं भेजा ?फिलहाल पुलिस ने मामलें में जांच तो शुरू की है. लेकिन अब ये देखना होगा कि इस मामले में आरोपी को कब तक गिरफ्तार किया जाता है.