नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने करीब 100 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के कई मामलों में शामिल एक 70 वर्षीय भगोड़े खनन माफिया को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. आरोपी की पहचान प्रदीप पालीवाल उर्फ महेश गुप्ता के रूप में हुई है. वह भगोड़ा अपराधी करार दिया जा चुका था और पिछले 7 सालों से फरार था.

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50 लाख हर महीने भुगतान करने का दिया था आश्वासन

संयुक्त पुलिस आयुक्त (आर्थिक अपराध शाखा) छाया शर्मा ने एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि जनवरी 2014 में आरोपी प्रदीप पालीवाल ने शिकायतकर्ता को राजस्थान में ग्रेनाइट खनन के अपने व्यवसाय में 20 करोड़ रुपए निवेश करने के लिए प्रेरित किया और उसे 50 लाख रुपए प्रति महीने भुगतान करने का आश्वासन दिया. इन आश्वासनों पर शिकायतकर्ता निवेश करने के लिए सहमत हो गया और दोनों के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) निष्पादित किया गया. फरवरी 2014 से सितंबर 2014 तक शिकायतकर्ताओं ने चेक/आरटीजीएस के माध्यम से 13.45 करोड़ रुपए और नकद में 3.15 करोड़ रुपए का भुगतान किया, लेकिन आरोपी अपना वादा पूरा नहीं कर पाया. 2017 में दिल्ली पुलिस के ईओडब्ल्यू द्वारा आईपीसी की धारा 420, 406 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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लगातार ठिकाने बदलता रहा आरोपी

अपराध करने के बाद आरोपी प्रदीप पालीवाल ने अपने ठिकाने दिल्ली से दूसरे राज्यों यानी कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और दिल्ली में स्थानांतरित कर दिए. चूंकि वह एक वांछित अपराधी था, इसलिए वह विमान में यात्रा करने से बचता था और वह इन राज्यों में एक निजी पजेरो द्वारा यात्रा करता था, जो उसके व्यापारिक भागीदार (बिजनेस पार्टनर) के नाम पर पंजीकृत है. संयुक्त सीपी ने कहा कि वह कभी भी 24 घंटे से अधिक एक स्थान पर नहीं रहा. वह हजारों किलोमीटर की यात्रा करता था, चाहे बेशक उसे पंजाब से कर्नाटक तक ही क्यों न जाना हो.

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टेलीग्राम अकाउंट का इस्तेमाल कर रहा था आरोपी

आरोपी इंटरनेट के अज्ञात स्रोतों से जुड़े टेलीग्राम अकाउंट का इस्तेमाल कर रहा था और जिम्बाब्वे के मोबाइल नंबर का भी इस्तेमाल करता था. जांच के दौरान उसके इंटरनेट के स्रोत की पहचान की गई और पाया गया कि ये नंबर फर्जी आईडी पर दर्ज किए गए थे. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तकनीकी और मैनुअल निगरानी के विश्लेषण के बाद पार्क होटल, शाहदरा के पास आरोपी व्यक्ति के स्थान का पता लगाया गया. होटल में पार्क किए गए सभी वाहनों की जांच की गई, जहां राजस्थान पंजीकरण संख्या (सफेद पजेरो) वाला एक वाहन खड़ा पाया गया. जब पुलिस ने जांच की, तो आरोपी प्रदीप पालीवाल को उसके सहयोगी विनायक भट्ट के साथ दिल्ली के कड़कड़डूमा के क्रॉस रिवर मॉल के पास से दबोच लिया गया. अधिकारी ने कहा कि विनायक भट्ट को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया, क्योंकि वह उनके एक मामले में वांछित था. इसके अलावा, मामले की पूछताछ और जांच जारी है.

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2018 में CBI ने दर्ज किया था मामला

आरोपी द्वारा किए गए अन्य आर्थिक अपराधों को साझा करते हुए संयुक्त सीपी शर्मा ने कहा कि 2006 में, आरोपी पालीवाल ने जाली कागजात की मदद से अपने नाम पर एक एचएसआईडीसी प्लॉट दर्ज किया था, जिसके बारे में उद्योग विहार पुलिस स्टेशन, गुड़गांव में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. 9 साल बाद 2015 में आरोपी ने पहले से ही गिरवी रखी संपत्ति पर एचडीएफसी बैंक से 12 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसे लेकर करोल बाग थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. प्राथमिकी की जांच ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है. 2018 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मामला दर्ज किया था, क्योंकि 28 करोड़ रुपए की ऋण राशि का भुगतान नहीं करने के कारण उसका ऋण खाता एनपीए हो गया था. अधिकारी ने कहा कि उनकी कंपनी होलीस्टार भी प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में है.