सनातन धर्म के ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक साल में 24 एकादशी के व्रत आते हैं. लेकिन अश्वनी मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है, इस एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी की शुरुआत 9 अक्टूबर, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 36 मिनट पर होगी और 10 अक्टूबर, मंगलवान को दिन में 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत 10 अक्टूबर को ही रखा जाएगा. इंदिरा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 11 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 39 मिनट के बीच होगा. पुराणों में कहा गया है कि जितना पुण्य कन्यादान और हजारों साल तपस्या से मिलता है उससे ज्यादा पुण्य सिर्फ इंदिरा एकादशी व्रत करने से मिल जाता है.

मान्यता है कि पितृपक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी के दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से पितृ तृप्त हो जाते हैं, और श्राद्ध करने से पितरों को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. सात पीढ़ियों के पितर तृप्त हो जाते हैं. Read More – Sridevi की मौत के 5 साल बाद बोनी कपूर ने तोड़ी चुप्पी, कहा – उनकी मौत नेचुरल नहीं थी …

इंदिरा एकादशी पितृ पक्ष में आती है, इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. ग्रंथों के मुताबिक इस एकादशी पर पूरे विधान से व्रत कर इसके पुण्य को पूर्वज के नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें मोक्ष और व्रत करने वाले को बैकुण्ठ मिल जाता है. पद्म पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के सात पीढ़ियों तक के पितृ तर जाते हैं. इस एकादशी का व्रत करने वाला भी स्वयं मोक्ष प्राप्त करता है. Read More – National Boyfriend Day : आज के दिन ऐसे जताएं अपने बॉयफ्रेंड पर प्यार, इन 5 तरीकों से फील कराएं उन्हें स्पेशल …

किन चीजों का दान करें

अश्विन महीने की एकादशी पर घी, दूध, दही और अन्न दान करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है. इस तिथि पर जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाया जाता है. ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते हैं. इन चीजों का दान करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है. धन लाभ होता है और सेहत अच्छी रहती है.