लुधियाना. पंजाब में लोकसभा चुनाव इस बार कई मायनों में काफी अलग हैं. लंबे समय तक पंजाब की राजनीति जिन बड़े नेताओं के आसपास घूमती रही है, वह बड़े नेता इस बार के चुनाव में नजर नहीं आ रही है. तीनों प्रमुख पार्टियों की बात करें तो अकाली दल ने पिछला लोकसभा चुनाव प्रकाश सिंह बादल, कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में लड़ा था. तीनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक थे, जिन्होंने 2019 के चुनाव में धुआंधार रैलियां की थी.

इनमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का निधन हो चुका है. इस बार पार्टी प्रधान के तौर पर उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल फ्रंटलाइन पर हैं. कांग्रेस की बात करें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी और अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बनाकर चुनाव लड़ा था लेकिन कोई सीट नहीं जीत सके. हालाकि बाद में कैप्टन भारतीय जनता पार्टी में चले गए लेकिन पिछले कुछ समय से कैप्टन अमरिंदर सिंह राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं.

इन लोकसभा चुनाव में भी कैप्टन सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे. उधर, आम आदमी पार्टी की बात करें तो शराब घोटाले में ईडी की ओर से गिरफ्तार किए जाने के बाद अरविंद केजरीवाल फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं. ऐसे मे मुख्यमंत्री भगवंत मान अरविंद केजरीवाल की कमी को पूरा करने में जुटे हुए हैं और हर हलके में जाकर रोड शो कर रहे हैं.

‘सियासी पिच’ से दूर हुए नवजोत सिद्धू भी


इस बार नवजोत सिद्धू भी लोकसभा चुनाव के परिदृश्य से गायब है. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में भी नवजोत सिद्धू पंजाब के चुनाव प्रचार से दूर ही रहे थे. तब बतौर मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ विवाद पैदा हो गया था, जिसके चलते सिद्धू ने दूसरे राज्य में प्रचार किए थे. अब सिद्धू की पंजाब कांग्रेस के मौजूदा नेताओं से तनातनी है. सिद्धू इन दिनों आईपीएल मैचों की कमैंट्री में व्यस्त हैं, और पंजाब की सियासी गहमागहमी से दूर हैं. पिछले दिनों पटियाला में कुछ नेताओं के साथ मीटिंग को छोड़कर सिद्धू की अभी तक इन चुनाव में कोई सक्रियता नहीं दिखाई दी है