रायपुर. मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद करना और बिना किसी स्वार्थ के किसे के काम आना सबसे बड़ा पुण्य का काम है. बिना किसी प्रकार का प्रतिकार चाहें और बिना अपेक्षा के किसी के लिए कुछ अच्छा करना ही जीवन में सुख का मूल है. यह उपकार करना सभी के बस की बात नहीं होती किंतु ऐसा सुख चाहने वाले लोगों की कमी भी इस संसार में नहीं है. ऐसे लोगो को खोजना जरूर बहुत आसान नहीं होता है पर ऐसा बनना बहुत आसान है.

रहिमन पर उपकार के करत न यारी बीच.
मांस दियो शिवि भूप ने दीन्हों हाड़ दधीच..

किसी को सुखी करके ना सिर्फ सुख पाया जा सकता है बल्कि ऐसा करने से कुंडली के ग्रह दोषों को दूर किया जाना भी संभव है, जैसे कि राजा शिवि ने कबूतर की प्राण रक्षा हेतु अपने शरीर का मांस और दधीचि ऋषि ने अपनी हड्ड़िया दान दी थी. आपके नित्यचर्या में सहजता के साथ करने से ग्रहीय दोषों का समाधान दे सकता है. वह सहज समाधान भूखे को दो रोटी देकर या गरीब जरूरतमंद को दवाईया या आहार देकर भी किया जा सकता है. ये उपाय ग्रह से संबंधित दोषों की निवृत्ति करने में कारगर उपाय बन सकती है. सचमुच जिस व्यक्ति को जिस चीज की आवश्यकता हो, उसे वह उपलब्ध कराकर भी सेवा का सुख का पाया जा सकता है.

यदि किसी की कुंडली में बुध खराब स्थिति में हों और गोचर में बुध की दशा चल रही हो तो उसे जरूरत मंद व्यक्ति को हरी सब्जी का दान करने से बुध ग्रह की शांति संभव है इसी प्रकार यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा खराब होकर गोचर में भ्रमण करें तो उसे चावल या दूध दही का दान करना चाहिए. सूर्य हेतु गेहू, गुरू हेतु पीले दाल, या वस्त्र, शनि हेतु दवाईया तथा शुक्र हेतु खाद्य पदार्थ किसी को खिलाकर अपने ग्रह की स्थिति को सुधारा जा सकता है. इस प्रकार सहजता से की गई सेवा द्वारा किसी को प्रसन्न कर ग्रहीय दोषों को दूर करना संभव है.