रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने नक्सली हमले में दंतेवाड़ा के शहीद भाजपा विधायक भीमा मंडावी मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) द्वारा तीन आरोपियों को गिरफ़्तार किए जाने पर कहा है कि इस गिरफ़्तारी के बाद तथ्यों के खुलासे से इस मामले में अब और रोशनी पड़ेगी। सुंदरानी ने झीरम मामले में शहीद पूर्व कांग्रेस विधायक उदय मुदलियार के पुत्र द्वारा दायर याचिका पर मामला एनआईए को नहीं सौंपे जाने की कांग्रेस शासन के वक़ील द्वारा दी गई दलील पर कटाक्ष कर सवाल किया है कि आख़िर झीरम मामला एनआईए को सौंपे जाने से कांग्रेस नेता और सत्ताधीश इतना डर क्यों रहे हैं?

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक सुंदरानी ने कहा कि झीरम की नक्सली वारदात को लेकर तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मौज़ूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बेहद आक्रामक हुआ करते थे और झीरम मामले का सबूत जेब में लेकर चलने की बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री बघेल वे सबूत पेश नहीं करके झीरम मामले की जाँच और शहीद नेताओं के परिजनों के न्याय दिलाने के काम के विलंबित कर रहे हैं। सुंदरानी ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल सत्ता में आने के बाद शुरू से केंद्र सरकार द्वारा इस मामले की एनआईए से जाँच का बेवज़ह विरोध करके मामले को लटका रहे हैं। अब शहीद पूर्व विधायक मुदलियार मामले में कांग्रेस के वक़ील द्वारा झीरम की जाँच एनआईए से नहीं कराने की बात कहकर कांग्रेस और प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा होना उचित ही है? सुंदरानी ने जानना चाहा कि झीरम मामले की एनआईए से जाँच कराने में प्रदेश सरकार को क्या दिक्कत है? आख़िर प्रदेश सरकार झीरम के मामले में किसे फँसाने और किसे बचाने की उधेड़बुन में उलझी है?